प्रार्थना हूँ स्वीकार में भगवान शिव के विभिन्न रहस्यों और स्वरूपों पर प्रकाश डाला गया है. इसमें बताया गया है कि महादेव को कई नामों से पुकारा जाता है, जिनमें शंकर भी एक है. ज्योतिषी कहते हैं कि महादेव यानी शिव जी ने शंकर की रचना की है. शिवलिंग का अर्थ शिव का आदि अनादि स्वरूप है, जो साकार और निराकार ईश्वर का प्रतीक है. जब सृष्टि की रचना हुई और ब्रह्मा व विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर बहस हुई, तब भगवान शिव ने अग्नि के गोले का रूप लिया, जिसका आदि और अंत कोई नहीं जान पाया. इस प्रकार शिवलिंग की उत्पत्ति हुई. महादेव का निराकार स्वरूप शिवलिंग है, जबकि उनके साकार रूप में भगवान शंकर की पूजा होती है. शिव का अर्थ परम कल्याणकारी और लिंग का अर्थ सृजन है. इसमें कहा गया है, "शिव ने सृष्टि की स्थापना, पालन और विनाश के लिए तीन शक्तियां की रचना की ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीन सूक्ष्म देवों की रचना की है। इस तरह शिव ब्रह्मांड के रचयिता हुए और शंकर उनकी एक रचना।" कार्यक्रम में शिव के अर्धनारीश्वर और नीलकंठ स्वरूप के रहस्य भी बताए गए हैं, साथ ही गौरीशंकर रूप की उपासना से सुखी वैवाहिक जीवन के वरदान का भी उल्लेख है.