त्रिपुंड के महत्व पर प्रकाश डाला गया है. माथे पर लगाए जाने वाले त्रिपुंड की प्रत्येक रेखा में नौ देवों का वास माना जाता है, जिससे कुल 27 देवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. त्रिपुंड की तीन रेखाएं अहंकार, अज्ञानता तथा मोहमाया से मुक्ति का प्रतीक हैं. त्रिपुंड धारण करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है. नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह घटता है, गुम होता है. शिवपुराण के अनुसार, त्रिपुंड लगाने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं, अध्यात्म की चेतना जागृत होती है और मानसिक शांति का अनुभव होता है. यह केवल माथे पर ही नहीं, बल्कि शरीर के 32 अंगों पर लगाया जा सकता है, जहां अलग-अलग देवताओं का वास होता है. त्रिपुंड चंदन या भस्म से तीन उंगलियों की मदद से लगाया जाता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, यह विचारक केंद्र को शीतलता प्रदान करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है. यह धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही नजरियों से कल्याणकारी है.