वरुणा से असी तक की सरहद में बसी वाराणसी के राजा हैं भगवान शिव. कोतवाल हैं कालभैरव लेकिन इसी सीमा में स्थापाति है मां शक्ति का भी एक सिद्धपीठ. जिसे सदियों से भक्त विशालाक्षी नाम से पूजते आ रहे हैं.माता सती के इस दरबार के इतिहास का सिरा जुड़ाता है उस कहानी से जिसमें भगवान शिव भी है. हिमालय राज दक्ष भी हैं और उस यज्ञ में हुए शिव अपमान की तपिश भी है जिसमें माता सती ने अपने संपूर्ण शरीर की आहुति दे दी थी.