पितृपक्ष का समय पितरों को याद करने और उन्हें धन्यवाद देने का है. इस दौरान पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज से पितृगण तृप्त होते हैं. पितृपक्ष में किया गया दान महाकल्याणकारी बन सकता है. मान्यता है कि पितृपक्ष में दान करने से पितृ दोष खत्म हो जाता है और पूर्वजों की महा कृपा प्राप्त होती है. अग्निपुराण के अनुसार, जब सूर्य कन्या राशि पर पहुंचते हैं, तब महालय पक्ष में पितरों को बहुत तेज भूख लगती है और वे धर्मराज के निर्देश से पृथ्वी पर अपने घर आते हैं.