प्रार्थना आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का एक माध्यम है. यह व्यक्ति को आंतरिक मजबूती प्रदान करती है और विचारों तथा इच्छाओं को सकारात्मक बनाती है. प्रार्थना करने का सही तरीका महत्वपूर्ण है. यदि प्रार्थना में लोभ, मोह या स्वार्थ जुड़ जाए, तो वह कामना बन जाती है और अनसुनी रह सकती है. माता-पिता का सम्मान न करना और आहार-व्यवहार पर नियंत्रण न रखना भी प्रार्थना की असफलता का कारण बन सकता है. प्रार्थना को सरल और साफ तरीके से, शांत वातावरण में, रोज़ एक ही समय पर करना चाहिए.