प्रार्थना हो स्वीकार में आज पितृ दोष के सच पर बात की गई। पितृ पक्ष के दौरान पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध और तर्पण का विशेष महत्व है। कार्यक्रम में बताया गया कि पितृ दोष तब होता है जब कुल या वंश में कोई पूर्वज अकाल मृत्यु से गुजरे हों अथवा उनके गुजरने के बाद उनका कार्य सही ढंग से न हुआ हो। इसके प्रभाव से जीवन में मानसिक परेशानी, आपसी कलह, संतान सुख में देरी, विवाह में बाधा और धन हानि जैसी समस्याएं आती हैं। पितृ दोष के लक्षण कुंडली में राहु की विशेष स्थितियों से बनते हैं। पितृ पक्ष में पिंड दान, तर्पण और ब्राह्मण भोज से पितृ तृप्त होते हैं। अमावस्या पर निर्धन को भोजन कराना, पीपल लगाना और श्रीमद् भगवद गीता का पाठ करना भी लाभकारी बताया गया। पितृ दोष से मुक्ति के लिए गया तीर्थ में पिंड प्रदान करने और प्रत्येक वर्ष पितरों की तिथि पर श्राद्ध कर्म करने के उपाय भी बताए गए। पितरों की कृपा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि आती है।