वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा जाता है. पूरे ब्रह्मांड का केन्द्र और संपूर्ण जगत को गति प्रदान करने वाला सूर्य ही है. अपनी रौशनी और ऊर्जा से पूरी धरती का पालन पोशन करने वाले सूर्य देव जागृत देव हैं और सोचिए वो तिथि कितनी फलदायी होगी जिसका संबंध सूर्य के जन्म से है. यानि रथ सपत्मी जिसे आरोग्य सप्तमी भी कहते हैं.