अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होने जा रही है और इसके लिए श्रद्धालु जम्मू और श्रीनगर में जुटने लगे हैं। सरकार और प्रशासन ने यात्रा के लिए सभी आवश्यक इंतजाम पूरे कर लिए हैं, जिसमें सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। जम्मू, श्रीनगर और दोनों बेस कैंप, पहलगाम और बालटाल में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। बालटाल में एक बड़ी टेंट सिटी तैयार की गई है जहाँ 20 से 22 हजार लोग एक साथ रुक सकते हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए खाने-पीने की व्यवस्था भी की गई है। सभी यात्रियों के लिए पहचान पत्र बनाए गए हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से आवश्यक हैं। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया है। यात्रा मार्ग को 10 अगस्त तक नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किया गया है, जिसका अर्थ है कि ड्रोन या यूएवी की उड़ान पर रोक है। तीर्थयात्रियों के काफिले का समय भी तय किया गया है और उनकी गाड़ियों को सामान्य गाड़ियों से अलग रखा जाएगा। सीआरपीएफ, पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के जवान यात्रा मार्ग पर तैनात हैं। बालटाल रूट पर माउंटेन रेस्क्यू टीमें भी तैनात की गई हैं जो ऑक्सीजन की कमी या भूस्खलन जैसी आपात स्थितियों में यात्रियों की मदद करेंगी। एक धार्मिक नेता ने कहा कि "यह यात्रा केवल श्राइन बोर्ड या सरकारी आयोजन नहीं है, यह जम्मू कश्मीर के आवाम का आयोजन है।" अब तक करीब 3.5 लाख श्रद्धालु पंजीकरण करा चुके हैं।