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19 साल के देवव्रत महेश बने 'वेदमूर्ति', क्यों दुर्लभ है ये उपलब्धि, किसे मिलती है, क्यों 200 साल तक कोई नहीं बन पाया? जानिए सबकुछ

महाराष्ट्र के अहिल्या नगर निवासी 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने काशी में 'वेदमूर्ति' की उपाधि प्राप्त कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने लगभग 200 वर्षों में पहली बार शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा का 'दंडक्रम पारायण' सफलतापूर्वक संपन्न किया है. काशी के वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय में 2 अक्टूबर से 30 नवंबर तक चले इस 50 दिवसीय कठिन अनुष्ठान में देवव्रत ने लगभग 2000 मंत्रों का कंठस्थ पाठ किया.