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AI ने ही लगा दी दोस्त की मौत पर मुहर! क्या AI के पास हर समस्या का सॉल्युशन है, क्या तकनीक के पास हर मर्ज की दवा है? एक्सपर्ट्स से समझिए

तकनीक पर बढ़ती निर्भरता के बीच, सोफी रोटेनबर्ग की कहानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) थेरेपी के खतरों को उजागर करती है. डिप्रेशन से जूझ रही सोफी ने अपने परिवार की बजाय 'हैरी' नामक एआई थेरेपिस्ट पर भरोसा किया और महीनों तक उससे अपनी आत्महत्या की प्रवृत्ति पर बात करती रही. एआई उसे टिप्स देता रहा, लेकिन उसकी मानसिक स्थिति की गंभीरता को समझने में विफल रहा. अंत में, सोफी ने उसी एआई से अपना सुसाइड नोट लिखवाया और अपनी जान दे दी. विशेषज्ञों का कहना है कि एआई में इंसानी जज्बातों को समझने की क्षमता नहीं होती और न ही एक प्रोफेशनल थेरेपिस्ट जैसी जवाबदेही होती है. यह घटना इस बात पर जोर देती है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एआई इंसानी थेरेपिस्ट का विकल्प नहीं हो सकता और इस पर पूरी तरह निर्भर रहना खतरनाक साबित हो सकता है.