भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के माहौल में 'वॉर एंग्जायटी' या युद्ध की बेचैनी एक गंभीर मानसिक विकार के रूप में उभर रही है, जिसका असर लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी और मानसिक स्थिति पर पड़ रहा है. विशेषज्ञ बताते हैं कि यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति को जान का खतरा महसूस होता है या वह अत्यधिक हिंसा का साक्षी बनता है. यह तनाव धीरे-धीरे डिप्रेशन, नींद की कमी और डर में परिवर्तित हो सकता है, और सोशल मीडिया पर फैलती फेक न्यूज़ इसे और बढ़ा रही है. इसी संदर्भ में, मेजर जनरल जे के बंसल ने आश्वस्त किया कि भारत की सेना सशक्त है और देशवासी निश्चिंत रहें. अन्य विशेषज्ञों ने मौजूदा हालात में घबराने के बजाय जागरूक रहने, केवल सत्यापित सूचनाओं पर विश्वास करने और फेक न्यूज़ से स्वयं को बचाने की महत्वपूर्ण सलाह दी है. साइबर युद्ध में फेक न्यूज़ एक हथियार है जो मानसिकता को प्रभावित करता है. एक विशेषज्ञ के अनुसार, फेक न्यूज़ के शिकार बनने पर मानसिकता फेक न्यूज़ के साथ रंग जाती है. इस दौरान युद्ध चिंता, उसके लक्षण और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने पर भी चर्चा हुई. आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करने तथा सोशल मीडिया पर अपुष्ट खबरें साझा न करने के महत्व पर बल दिया गया. एक वक्ता ने आगाह किया कि आज इंटरनेट पर जो भी चीज़ देख रहे हैं उसमें से अधिकांश कंटेंट फेक है, इसलिए नागरिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है. 8 मई को भारत ने पाकिस्तान द्वारा किए गए कई हमलों को विफल कर दिया, और अपनी सेना पर भरोसा रखने का संदेश दिया गया. विशेषज्ञों ने युद्ध के माहौल में मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करने और सोशल मीडिया पर बिना पुष्टि के कुछ भी साझा न करने की सलाह दी.