आजकल लोग कोई परेशानी होने पर सीधे गूगल खोल लेते हैं. लक्षण शेयर करते हैं और बीमारी का नाम ढूंढने लगते हैं जानकारी जुटाने लगते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि कई बार इंटरनेट पर मिली जानकारी भ्रम पैदा करती है और यूजर का तनाव भी बढ़ाती है. डॉक्टर गूगल पर लोगों के भरोसे का आलम ये है कि वो X-RAY, MRI और अल्ट्रासाउंड जैसी जांच रिपोर्ट CHATgpt, ग्रोक या जैमिनी जैसे AI टूल्स से शेयर करते हैं. उससे जुड़ी जानकारी जुटाते हैं और इसी जानकारी के आधार पर खुद का इलाज भी करना शुरू कर देते हैं. लेकिन क्या बीमारी से लड़ने का ये तरीका कारगर है. क्या insta treatment और रिलीफ के चक्कर में बीमार और बीमार तो नहीं हो जाएगा. हेल्थकेयर एक्सपर्ट्स से आज इन तमाम विषयों पर हम बात करेंगे