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Navratri से पहले दो ग्रहण, जानिए सूर्य ग्रहण के क्या हैं मायने, ज्योतिषाचार्य इसे कैसे देखते हैं,किसको होगा लाभ, किसे रखना है ध्यान

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 122 वर्षों के पश्चात एक दुर्लभ संयोग निर्मित हो रहा है, जिसमें पितृपक्ष का आरंभ चंद्र ग्रहण से और इसका समापन सूर्य ग्रहण के साथ हो रहा है. यह आंशिक सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात्रि 10:59 पर प्रारंभ होगा, परंतु भारत में दृश्यमान न होने के कारण यहाँ सूतक काल मान्य नहीं होगा. यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में घटित होगा. इस अवधि में सूर्य और शनि के आमने-सामने होने से 'सम सप्तक' योग का निर्माण हो रहा है, जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है.