वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज और अनिरुद्धाचार्य जी के बयानों ने समाज में परंपरा, आधुनिकता और महिलाओं के अधिकारों पर बहस को जन्म दिया है. प्रेमानंद महाराज ने युवाओं के चरित्र, लिव-इन रिलेशनशिप और विवाह की स्थिरता पर सवाल उठाए, जबकि अनिरुद्धाचार्य जी ने महिलाओं के शारीरिक संबंधों पर विवादित टिप्पणी की. इन बयानों को लेकर महिलाओं और समाज के विभिन्न वर्गों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.