ग्रेटर नोएडा के सिरसा गाँव की निक्की की कहानी दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों को सामने लाती है. इस मामले में दहेज हत्या को लेकर समाज की सोच और कानूनों के कार्यान्वयन पर एक बड़ी बहस छिड़ गई है. विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं को दहेज निषेध अधिनियम 1961 और घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत कई कानूनी अधिकार प्राप्त हैं, जिनमें मुफ्त कानूनी सहायता और आर्थिक मुआवजे का दावा शामिल है. राष्ट्रीय और राज्य महिला आयोग भी ऐसे मामलों में सहायता प्रदान करते हैं. यह घटना समाज में पितृसत्तात्मक सोच, टॉक्सिक रिलेशनशिप और मेंटल हेल्थ के महत्व को भी उजागर करती है. विशेषज्ञों का मानना है कि हिंसा के खिलाफ चुप्पी साधने से दोषियों के हौसले बुलंद होते हैं, इसलिए समय पर कानूनी कार्रवाई करना और अपने अधिकारों को हथियार बनाना ज़रूरी है.