भारतीय क्रिकेटर युजवेंद्र चहल ने धनश्री वर्मा से तलाक के बाद अपनी शादीशुदा जिंदगी के अनुभव साझा किए, जिसमें उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव और आत्महत्या जैसे विचारों का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि तलाक के दौरान वे 40-45 दिनों तक केवल 2 घंटे सो पाते थे और क्रिकेट से ब्रेक लेने की जरूरत महसूस कर रहे थे. विशेषज्ञों ने रिश्तों में आपसी समझ, भरोसे, संवाद और सम्मान की कमी, वित्तीय समस्याएं और तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को तलाक के मुख्य कारण बताया. भारत में तलाक के मामलों की संख्या बढ़ रही है, जिसमें 2011 की जनगणना के अनुसार 5,04,000 मामले दर्ज हुए थे. ग्रामीण क्षेत्रों में भी 8,50,000 से अधिक मामले सामने आए हैं. शादी से पहले काउंसलिंग की कमी और इसे स्वीकार न करने की प्रवृत्ति तलाक के बढ़ते मामलों को बढ़ावा देती है. समाज में मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता की कमी है और इसे 'पागलों का डॉक्टर' समझा जाता है. पुरुषों पर तलाक के बाद आर्थिक दबाव और गुजारा भत्ता के दिशानिर्देशों की कमी से कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा झूठे मामलों में सार्वजनिक माफी की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई. बदलती जीवनशैली और वित्तीय स्वतंत्रता भी रिश्तों के टूटने का कारण बनती है.