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कोविड महामारी में दिया पिता का साथ, लेकिन नहीं छोड़ा पैशन का हाथ.. भारतीय टीम में शामिल हो पूरा हुआ सपना

पिता की अजीविका पर पड़ा असर तो साथ में बेची सब्ज़ियां, लेकिन नहीं छोड़ा क्रिकेट का जुनून. 9 वर्ष की उम्र से ही हाथ में थाम ली थी गेंद.

कोविड काफी लोगों की ज़िंदगी में कई बदलाव लेकर आया. कई लोगों की नौकरियां चली गईं. तो कई लोगों को अपना काम बदलना पड़ गया. तो कई अपने पैशन से दूर हो गए. ऐसा ही एक किस्सा है वडोदरा का. जहां एक क्रिकेट का पैशन रखने वाले लड़के की ज़िदगीं में काफी बदलाव आया. चार साल पहले कोविड महामारी के समय एक युवक की अजीविका पर ऐसा असर पड़ा, कि वह उससे छिन गई. लेकिन उनके बेटे को क्रिकेट का काफी पैशन था. लेकिन यह वो समय था जब लोगों के लिए जीवन मुश्किल हो गया था. तो बाप-बेटे ने मिल सब्ज़ियां बेची और परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा किया. बेशक कोविड के दौरान लड़के ने पिता के साथ सब्ज़ियां बेची, लेकिन उसने कभी क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा. लड़के के इसी जुनून के चलते उसे भारतीय टीम का हिस्सा बनने का मौका मिला. 

कैसे हो पाया सपना पूरा?
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार सोमवार को पहली बार अंडर-19 में मैच खेला. यह मैच बेंगलुरु में खेला गया था. यह सिरीज़ इंडिया-ए, इंडिया-बी और अफगानिस्तान की टीमों के बीच खेली जा रही है. इस क्रिकेट प्रेमी लड़सके का नाम आशुतोष महिदा है. महिदा बताते हैं कि उनके पिता एक कोरियोग्राफर हैं. लेकिन कोविड के दौरान उनका काम काफी प्रभावित हो गया, जिसके कारण वह सब्ज़ियां बेचने पर मजबूर हो गए. हालांकि उस दौरान आशुतोष क्रिकेट भी खेलते रहे.

कैसे निकल पाए मुश्किल हालात से?
कोविड को याद करते हुए आशुतोष कहते हैं कि वह समय काफी मुश्किल था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. दोनों बाप-बेटे ने मिलकर सब्जियां बेची और घर का चूल्हा जलाया. साथ ही उनके पिता ने भी उन्हें क्रिकेट खेलने के कहा बेशक उनके घर की वित्तीय स्थिती ठीक नहीं थी. लेकिन अब हालात ठीक हैं, और वह अपने पैशन पर फोकस कर पा रहे हैं. 

कौन है आशुतोष महिदा?
आशुतोष महिदा राइट-आर्म तेज गेंदबाज़ हैं, जो मोटीबाग क्रिकेट क्लब से खेलते हैं. उन्होंने क्रिकेट की शुरुआत नौ वर्ष की उम्र से ही कर दी थी. वह बताते हैं कि उन्हें पिता क्रिकेट के फैन है और उन्होंने आशुतोष को क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया. जिसके बाद उन्हें हिंद विजय जिमखाना में दाखिला दिलवाया. जहां उन्होंने तेज़ गेंदबाज़ी शुरू की जिसके बाद पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. 

कैसा रहा है करियर?
आशुतोष ने कई क्लब के साथ टूर्नामेंट खेले हैं. साथ उसके बाद उन्होंने बरोदा अंडर-16 स्कावड में 2022 में खेला था. आशुतोष ने 2024 में विजय मर्चेंट ट्रॉफी खेली और अंडर-19 में कूच बिहार ट्रॉफी खेली जहां उन्होंने केवल पांच मैच में 16 विकेट चटकाए.