
तमिलनाडु के एक छोटे से गांव के रहने वाले सर्विन सेबेस्टियन ने दक्षिण कोरिया के गुमी में आयोजित एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत को मेडल दिलाया. सेबेस्टियन के पिता खेतिहर मजदूर हैं. उन्होंने सर्विन के लिए पहला जूता भी कर्ज लेकर खरीदा था. सर्विन 4 महीने पहले खेल छोड़ने की सोच रहे थे. अब उन्होंने रेस वॉकिंग में देश को पदक दिलाया है.
सर्विन ने देश को दिलाया मेडल-
दक्षिण कोरिया के गुमी में 26वीं एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप का आयोजन चल रहा है. इसमें 20 किलोमीटर के रेस वॉकिंग में भारत के सर्विन सेबेस्टियन ने कांस्य पदक जीता है. 25 साल के इस खिलाड़ी ने एक घंटा 21 मिनट और 13.60 सेकंड में रेस पूरी की. इस खेल में चीन के वांग झाओझाओ ने एक घंटा, 20 मिनट और 36.90 सेकंड में रेस पूरी करके गोल्ड मेडल जीता. जबकि जापान के केंटो योशिकावा ने एक घंटा, 20 मिनट और 44.90 सेकंड में रेस पूरी करके सिल्वर मेडल जीता.
बेटे के मेडल पर रो पड़ी मां-
जब सर्विन ने दक्षिण कोरिया में मेडल जीता और अपनी मां से बात की तो उनकी मां रो पड़ी थीं. रिपोर्ट के मुताबिक सर्विन ने कहा कि जब मैंने शुरुआत की थी तो मेरे पिता ने मुझे जूते खरीदने के लिए पैसे उधार लिए थे. आज मैं खुश हूं कि मैं बदलने में उन्हें कुछ दे सका. मुझे उम्मीद है कि मैं इस साल के अंत में विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई कर लूंगा.
पिता ने कर्ज लेकर खरीदा था पहला जूता-
सर्विन सेबेस्टियन एक गरीब परिवार से आते हैं. उनके परिवार की आर्थिक हालत बहुत ही खराब है. उनके पिता खेतिहर मजदूर हैं और रोजाना 250 रुपए कमाते हैं. पिता ने सर्विन के लिए पहला जूता भी कर्ज लेकर खरीदा था. सर्विन का परिवार तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में एडयाथुमंगलम में रहता है.
4 महीने पहले छोड़ना चाहते थे खेल-
हालात ऐसे थे कि 4 महीने पहले सर्विन ये खेल छोड़ने का विचार कर रहे थे. ट्रेनिंग में उनका मन नहीं लग रहा था. उन्होंने वापस अपने गांव जाने का फैसला किया था. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनके कोच गणपति कृष्णन नहीं चाहते थे कि सर्विन खेल छोड़े. इसलिए उन्होंने उनको खेल नहीं छोड़ने की सलाह दी.
सर्विन पारिवारिक समस्या के कारण तनाव में थे. गणपति ने बताया कि उन्होंने सर्विन को 10 दिन के लिए घर जाने और वापस आने के लिए कहा. गणपति ने बताया कि वो रोज सर्विन से बात करते थे और उसको प्रेरित करते थे.
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