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बोकारो के दिव्यांग महावीर मोदी का इंटरनेशनल पैरालंपिक क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए चयन, बचपन से था खेल का जुनून, धोनी को मानते हैं आदर्श

महावीर मोदी की यह कहानी न सिर्फ क्रिकेट प्रेमियों बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को जिंदा रखते हैं. बोकारो के इस दिव्यांग खिलाड़ी ने दिखा दिया है कि अगर जज्बा मजबूत हो तो हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, सपने पूरे किए जा सकते हैं.

Bokaro cricketer Mahavir Modi Bokaro cricketer Mahavir Modi

झारखंड के बोकारो जिले से एक प्रेरणादायक खबर सामने आई है. चंदनक्यारी प्रखंड के रोहिणी गाढ़ा गांव के दिव्यांग क्रिकेटर महावीर मोदी का चयन इंटरनेशनल पैरालंपिक क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए हुआ है. भारत और श्रीलंका के बीच होने वाला यह टूर्नामेंट 6 से 10 अक्टूबर तक श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में खेला जाएगा. जैसे ही यह खबर गांव और जिले में फैली, लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई. महावीर मोदी ने यह साबित कर दिया कि सच्चा जज्बा और मेहनत शारीरिक सीमाओं से कहीं बड़ा होता है.

धोनी से मिली प्रेरणा, विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में पहचान

महावीर मोदी बचपन से ही क्रिकेट खेलने के जुनूनी रहे हैं. वे पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श मानते हैं और उनकी तरह विकेटकीपर-बल्लेबाज की भूमिका निभाते हैं. उनका क्रिकेट सफर वर्ष 2005 में शुरू हुआ, जब पहली बार उनका चयन स्टेट टीम के लिए हुआ. इसके बाद उन्होंने कई दर्जनों जिला और राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में भाग लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया.

साल 2007 में महावीर ने दिल्ली में आयोजित नेशनल दिव्यांग क्रिकेट टूर्नामेंट में पहली बार हिस्सा लिया. वहीं, 2018 में उन्हें रांची में श्रीलंका के खिलाफ खेले गए टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला. इसी वर्ष उनका चयन भारत-बांग्लादेश बिलैटरल सीरीज के लिए भी हुआ था, लेकिन वीजा न मिलने के कारण वह उस सपने को पूरा नहीं कर सके.

आर्थिक तंगी से जूझते हुए भी जारी रखा संघर्ष

महावीर मोदी के संघर्ष की असली कहानी यहीं से शुरू होती है. एक तरफ क्रिकेट के प्रति अटूट जुनून, दूसरी ओर आर्थिक अभाव. महावीर अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए सब्जी बेचते हैं. घर में वही इकलौते कमाने वाले सदस्य हैं. अब जब इंटरनेशनल टूर्नामेंट में खेलने का सुनहरा अवसर उनके सामने है, तो उनके सपने पर आर्थिक संकट का साया मंडरा रहा है.

श्रीलंका जाने और टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए महावीर को करीब 60 हजार रुपये की आवश्यकता है. इसमें हवाई यात्रा, क्रिकेट किट और ठहरने-खाने का खर्च शामिल है. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण महावीर के सपनों पर पानी फिरता दिख रहा है.

सरकार और प्रशासन से लगाई गुहार

महावीर मोदी ने सरकार, जिला प्रशासन और समाज के सक्षम लोगों से सहयोग की अपील की है. उनका कहना है कि यह उपलब्धि केवल उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे जिले और राज्य के लिए गर्व की बात है. अगर उन्हें सहयोग मिल जाए तो वे न केवल इस टूर्नामेंट में खेल सकते हैं, बल्कि आगे चलकर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैरालंपिक क्रिकेट वर्ल्ड कप भी दिला सकते हैं.

गांव और परिवार में खुशी का माहौल

महावीर के चयन की खबर से उनके परिवार और गांव में खुशी का माहौल है. परिवार और बच्चों ने उम्मीद जताई है कि इस बार महावीर का सपना अधूरा नहीं रहेगा. गांव के लोग भी गर्व महसूस कर रहे हैं कि उनके बीच से कोई खिलाड़ी इंटरनेशनल स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करेगा.

सपना भारत को दिलाना वर्ल्ड कप

महावीर मोदी का अगला लक्ष्य भारतीय पैरालंपिक क्रिकेट टीम में जगह बनाकर वर्ल्ड कप जीतना है. उनका कहना है कि “अगर मुझे सहयोग मिल जाए तो मैं अपने खेल के दम पर भारत को जीत दिलाने की पूरी कोशिश करूंगा. क्रिकेट मेरा सपना ही नहीं, मेरी जिंदगी है.”

(संजय कुमार की रिपोर्ट)