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झांसी की बेटी इमरोज खान ने लहराया परचम! विश्व पुलिस गेम्स में जीता गोल्ड मेडल... ढोल-नगाड़ों से हुआ स्वागत

जब इमरोज 9 जुलाई 2025 को वंदे भारत ट्रेन से झांसी रेलवे स्टेशन पहुंची, तो वहां मौजूद सैकड़ों लोगों ने ढोल-नगाड़ों की धुन पर और फूल-मालाओं के साथ उनका भव्य स्वागत किया. रेलवे स्टेशन पर खेल प्रेमी, स्थानीय निवासी, और CISF अधिकारी उनकी उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए जमा हुए. भीड़ में बोल बम और जय हिंद के नारे गूंज रहे थे.

झांसी की बेटी झांसी की बेटी

कहते हैं, अगर इरादे मजबूत हों, तो मंजिलें आसान हो जाती हैं. ऐसा ही कमाल कर दिखाया है झांसी की बेटी इमरोज खान ने. इन्होंने अमेरिका के बर्मिंघम में आयोजित विश्व पुलिस और फायर गेम्स 2025 में बॉक्सिंग में गोल्ड मेडल जीतकर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे झांसी और भारत का नाम रोशन किया. 27 जून से 6 जुलाई 2025 तक चले इस प्रतिष्ठित आयोजन में इमरोज ने 70 किलोग्राम वर्ग में अमेरिकी बॉक्सर जैनेट जॉनसन को 5-0 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया. 

जब वे वंदे भारत ट्रेन से अपनी जन्मस्थली झांसी लौटीं, तो रेलवे स्टेशन पर खेल प्रेमियों और झांसीवासियों ने ढोल-नगाड़ों और फूल-मालाओं के साथ उनका भव्य स्वागत किया. यह पल न केवल इमरोज के लिए, बल्कि पूरे बुंदेलखंड के लिए गर्व का क्षण बन गया. 

इमरोज खान की स्वर्णिम उपलब्धि  
28 साल की इमरोज खान, CISF (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) में असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर के पद पर भिलाई में तैनात हैं. ये झांसी के छनियापुरा इलाके के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता एक टीवी मैकेनिक हैं, और मां गृहणी. इमरोज ने अपने खेल करियर की शुरुआत हॉकी से की थी, लेकिन बाद में बॉक्सिंग में कदम रखा और झांसी के ध्यानचंद स्टेडियम में ट्रेनिंग ली.

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उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें विश्व पुलिस गेम्स 2025 में भारत के लिए गोल्ड मेडल दिलवाया. फाइनल में उन्होंने अमेरिकी बॉक्सर को हराकर 5-0 से जीत हासिल की, जिससे भारत को तीसरे स्थान पर 588 मेडल्स (280 स्वर्ण) के साथ गौरव प्राप्त हुआ.

झांसी में जोरदार स्वागत  
जब इमरोज 9 जुलाई 2025 को वंदे भारत ट्रेन से झांसी रेलवे स्टेशन पहुंची, तो वहां मौजूद सैकड़ों लोगों ने ढोल-नगाड़ों की धुन पर और फूल-मालाओं के साथ उनका भव्य स्वागत किया. रेलवे स्टेशन पर खेल प्रेमी, स्थानीय निवासी, और CISF अधिकारी उनकी उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए जमा हुए. भीड़ में बोल बम और जय हिंद के नारे गूंज रहे थे. इस मौके पर इमरोज ने अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा, "मैंने अपने देश और झांसी के लिए स्वर्ण पदक जीता, मुझे इस पर गर्व है. मेरे माता-पिता और कोच ने मेरा हर कदम पर साथ दिया."

इमरोज की प्रेरणादायक यात्रा  
इमरोज की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखता है. उन्होंने बताया कि एक समय वे हार मानने वाली थीं, लेकिन उनकी मां ने उन्हें फिर से शुरू करने के लिए प्रेरित किया. इमरोज कहती हैं, "मेरी मां ने कहा कि मेरे कहने पर फिर से शुरू करो. मैंने मेहनत की और यह मुकाम हासिल किया. मैं सभी माता-पिता से कहना चाहती हूँ कि अपने बच्चों को उनके सपने पूरे करने दें, चाहे वह खेल हो या पढ़ाई." 

उनकी इस उपलब्धि का श्रेय वे अपने माता-पिता, कोच, और ध्यानचंद स्टेडियम के प्रशिक्षकों को देती हैं. क्षेत्रीय खेल अधिकारी सुरेश बोंकर ने बताया कि इमरोज ने CISF में चयन से पहले नियमित रूप से झांसी में प्रशिक्षण लिया और कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शहर और राज्य का प्रतिनिधित्व किया.

खेल प्रेमियों का उत्साह  
झांसी के खेल प्रेमी रोहित पांडे ने इमरोज की उपलब्धि पर गर्व जताते हुए कहा, "पहले कहा जाता था कि पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे बनोगे खराब. लेकिन आज इसका उल्टा है. इमरोज ने साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से खेल में भी बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है." उन्होंने आगे कहा कि इमरोज की यह जीत न केवल झांसी, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इमरोज ने वीरांगना लक्ष्मीबाई की नगरी का नाम और ऊंचा किया है.

विश्व पुलिस गेम्स 2025 की उपलब्धियां  
विश्व पुलिस और फायर गेम्स 2025, जो अमेरिका के बर्मिंघम, अलबामा में 27 जून से 6 जुलाई तक आयोजित हुआ, एक ओलंपिक-शैली का आयोजन है, जिसमें विश्व भर के पुलिस, अग्निशमन, और अन्य प्रथम प्रतिक्रिया सेवाओं के एथलीट हिस्सा लेते हैं. भारत ने इस बार 588 मेडल्स (280 गोल्ड, 308 सिल्वर और ब्रॉन्ज) के साथ तीसरा स्थान हासिल किया, जिसमें उत्तर प्रदेश पुलिस ने 95 मेडल्स (45 स्वर्ण) का योगदान दिया. इमरोज की जीत ने CISF और झांसी को विशेष रूप से गौरवान्वित किया. 

(प्रमोद कुमार गौतम की रिपोर्ट)