
राजस्थान के नागौर की 12 साल की बेटी ने एक बार फिर ताइक्वांडो चैंपियन कप में गोल्ड मेडल जीतकर जिले का नाम रोशन किया है. भार्गवी सिंह ने इतनी छोटी उम्र में 27 गोल्ड मेडल जीत लिया है. वहीं दो बार स्टेट चैंपियन का गौरव भी प्राप्त कर चुकी हैं. नेशनल टूर्नामेंट में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. गांववाले भार्गवी को 'थांवला की गोल्डन गर्ल्स' कहते हैं.
पिता प्राइवेट स्कूल में टीचर-
नागौर जिले के रियाबड़ी उपखण्ड के ग्राम थांवला की 12 वर्षीय बेटी भार्गवी सिंह ने राजस्थान का नाम रोशन किया है. भार्गवी के पिता दीपक सिंह प्राइवेट स्कूल में शिक्षक हैं. जबकि माता लवली सिंह गृहणी हैं. भार्गव के पिता दीपक सिंह ने बताया है कि भार्गवी कक्षा 8वीं में पढ़ाई कर रही है. शुरुआत से खेल के प्रति इसकी ज्यादा रुचि थी. आज जयपुर के बैटल्स इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित ताइक्वांडो चैंपियंस कप में शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया. भार्गवी ताइक्वांडो की दुनिया में यह एक चमकता हुआ सितारा बन चुकी है.
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज-
भार्गवी ने अपनी 3 साल की उम्र में कराटे खेलना शुरू कर दिया था. 4.5 साल की उम्र में राजस्थान की सबसे छोटी उम्र की ब्लैकबेल्ट विजेता बनकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवाया. ब्लैक बेल्ट हासिल करने के बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान ताइक्वांडो पर केंद्रित किया. इस उपलब्धि के लिए उनके कोच सोहेल खान का महत्वपूर्ण योगदान रहा. जिन्होंने उनके कौशल को निखार. इतना ही नहीं, उन्होंने भार्गवी को राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं के लिए भी तैयार किया.
स्टेट चैंपियनशिप में जीता था गोल्ड-
भार्गव ने 2023 में पहली बार ताइक्वांडो फेडरेशन की आयोजित स्टेट चैंपियनशिप (अलवर ) में भाग लिया और गोल्ड मेडल जीत कर अपनी पहचान बनाई. इसके बाद 2024 में 68वीं स्कूल गेम्स स्टेट चैंपियनशिप में भी उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई और हाल ही में स्कूल गेम्स नेशनल ताइक्वांडो टूर्नामेंट में भाग लिया. जिससे उनका आत्मविश्वास और मजबूत हुआ है.
नेशनल टूर्नामेंट में लिया हिस्सा-
भार्गवी ने अक्टूबर 2024 वर्ष की राष्ट्रीय विद्यालय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भाग लिया, जो मध्यप्रदेश के विदिशा आयोजित हुई थी. यहां उन्होंने देश की बेहतरीन खिलाड़ियों के साथ मुकाबला किया. इस प्रतियोगिता में उन्हें अंडर-17 वर्ग के खिलाड़ियों के खिलाफ खेलाना पड़ा, क्योंकि राजस्थान में अंडर - 14 आयु वर्ग की श्रेणी मौजूद नहीं की थी. हालांकि उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया और इस अनुभव ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए प्रेरित किया.
परिवार और कोच का मिला भरपूर समर्थन-
भार्गवी की इस सफलता के पीछे उनके पिता दीपक सिंह चौधरी का पूरा महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिन्होंने हमेशा उनका मनोबल बढ़ाया और हर परिस्थिति में उनका साथ दिया. उनके कोच सोहेल खान ने उन्हें बेहतरीन प्रशिक्षण देकर उस स्तर तक पहुंचाया है. भार्गवी वर्तमान में थावला कस्बे के निजी विद्यालय में पढ़ाई कर रही है और इसके साथ खेल में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही है.
ताइक्वांडो मेरी पहचान- भार्गवी
भार्गवी ने बताया कि ताइक्वांडो सिर्फ एक खेल ही नहीं, बल्कि मेरी पहचान और मेरा जुनून है. मेरा सपना भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतना है. मैं अपने कोच, परिवार, सभी शुभचिंतकों की आभारी हूं, जिन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया.
भार्गवी ने बताया कि राजस्थान में अंडर- 14 आयुर्वेद को ताइक्वांडो में शामिल नहीं किया गया. इसकी वजह से कम उम्र के खिलाड़ियों को अंडर-17 में खेला पड़ता है. उन्हें अधिक उम्र के खिलाड़ियों के खिलाफ मुकाबला करना पड़ता है. उनका कहना है कि राजस्थान में अंडर-14 श्रेणी शुरू कर दी जाए, तो युवा प्रतिभाओं को उचित मंच मिल सकेगा.
भार्गवी ने अब तक अपने 12 साल के करियर में 27 गोल्ड मेडल जीते है. इसमें ओपन और सरकारी टूर्नामेंट भी शामिल हैं. इसमें साल 2023 का ताइक्वांडो फेडरेशन स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल और साल 2024 में 68वीं स्कूल गेम्स स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना शामिल है. भार्गवी सिंह चौधरी आज ताइक्वांडो की दुनिया में एक चमकता हुआ सितारा बन चुकी हैं.
(नागौर से केशा राम की रिपोर्ट)
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