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Saharanpur: गुघाल मेले में दंगल प्रतियोगिता, 6 राज्यों के 150 पहलवानों ने अखाड़े में दिखाया दमखम

उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के ऐतिहासिक गुघाल मेले में दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें 6 राज्यों के 150 पहलवानों ने हिस्सा लिया. इस बार दंगल में प्रथम पुरस्कार के तौर पर ₹11,000 और आकर्षक ट्रॉफी रखी गई है, जबकि द्वितीय स्थान पाने वाले पहलवान को ₹5100 और ट्रॉफी रखी गई है.

Gughal Fair Gughal Fair

सहारनपुर में ऐतिहासिक जहनवीर गघा म्हाड़ी गुघाल मेले के तहत आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में एक दंगल प्रतियोगिता का भव्य आयोजन हुआ. यह आयोजन HAV इंटर कॉलेज मातागढ़ के मैदान में हुआ, जहां दूर-दराज से पहलवान अपनी ताकत और दांव-पेंच दिखाने पहुंचे. दंगल में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश समेत छह राज्यों से करीब डेढ़ सौ पहलवानों ने हिस्सा लिया. अखाड़े में उतरे हर पहलवान का स्वागत ढोल-नगाड़ों की थाप और जयकारों के बीच किया गया. दर्शकों की भारी भीड़ मैदान के चारों ओर उमड़ पड़ी और हर मुकाबले पर तालियों की गड़गड़ाहट से माहौल गूंजता रहा. छोटे-बड़े हर वर्ग के लोग इस ऐतिहासिक दंगल के गवाह बने और देर रात तक मुकाबले देखने के लिए डटे रहे.

कई दशकों से चली आ रही परंपरा-
नगर निगम सहारनपुर के उपसभापति मयंक गर्ग ने बताया कि गुघाल मेले के साथ यह सांस्कृतिक परंपरा कई दशकों से चली आ रही है. यहां पर हर साल दंगल का आयोजन किया जाता है और पहलवान अपने हुनर का प्रदर्शन करते हैं. उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल खेल प्रतियोगिता ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा को जीवंत बनाए रखने का माध्यम भी है.

विजेता को इनाम-
अखाड़ा से जुड़े विक्की पालीवाल ने जानकारी दी कि इस बार दंगल में प्रथम पुरस्कार के तौर पर ₹11,000 और आकर्षक ट्रॉफी रखी गई है, जबकि द्वितीय स्थान पाने वाले पहलवान को ₹5100 और ट्रॉफी दी जाएगी. इनाम जीतने की होड़ में हर पहलवान ने जोरदार प्रदर्शन किया और दर्शकों का खूब मनोरंजन किया.

दंगल में भाईचारे की मिसाल-
दंगल की खासियत यह रही कि यहां सिर्फ जीत-हार नहीं, बल्कि भाईचारे और खेल भावना की मिसाल भी देखने को मिली. हारने वाले पहलवानों को भी दर्शकों ने तालियों से सम्मानित किया. कई बार मुकाबले इतने कड़े हुए कि विजेता का फैसला करने में निर्णायकों को लंबा समय लग गया. आयोजकों के अनुसार, इस बार का दंगल पिछले वर्षों की तुलना में ज्यादा बड़ा और आकर्षक रहा. बच्चों और युवाओं में खासा उत्साह दिखाई दिया. दंगल के साथ-साथ पारंपरिक लोकगीत और वाद्ययंत्रों की धुन ने पूरे माहौल को और अधिक रोचक बना दिया.

आने वाले समय में और भव्य होगा दंगल-
गोगा जाहरवीर गुघाल मेला सहारनपुर की आस्था और परंपरा से गहराई से जुड़ा हुआ है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब से यह मेला लगता आ रहा है, तभी से दंगल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है. यह केवल खेल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि लोगों को जोड़ने और समाज को एक मंच पर लाने का जरिया भी है. आयोजकों ने बताया कि आने वाले वर्षों में इस दंगल को और भव्य रूप देने की योजना है.

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