 Sourav Ganguly
 Sourav Ganguly  Sourav Ganguly
 Sourav Ganguly BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली के एक ट्वीट ने खेल से लेकर सियासी गलियारे में हलचल मचा दी है. सौरव ने बुधवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि वो अब नई पारी शुरू करने जा रहे हैं. हालांकि गांगुली ने इस ट्वीट में न तो BCCI से इस्तीफे देने की बात की और न ही पॉलिट्क्स जॉइन करने को लेकर कुछ कहा. लेकिन कयास लगाया जाने लगा कि वे राजनीति के फील्ड में अपनी बैटिंग शुरू करने वाले हैं. हालांकि, कुछ देर बाद ही BCCI सचिव जय शाह ने इस बात का खंडन किया कि सौरव गांगुली ने BCCI अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया है.
हालांकि, सौरव गांगुली ने इससे कुल 3 घंटे पहले ही एक रियल इस्टेट कंपनी के साथ कोलेबरेशन का ट्वीट शेयर किया था. और चूंकि गांगुली खुद एक बिजनेस परिवार से ताल्लुक रखते हैं इसलिए अगर वे कोई नया बिजनेस भी शुरू करते हैं तो इसमें कोई ताज्जुब वाली बात नहीं होगी.
कोलकाता में कहा जाता है महाराज
बताते चलें कि सौरव गांगुंली काफी संपन्न बिजनेस परिवार से ताल्लुक रखते हैं. और यही कारण है कि उन्हें कोलकाता में महाराज कहा जाता है. सौरव का परिवार शुरू से ही आर्थिक तौर पर मजबूत रहा है. उनके माता-पिता ने सौरव का निकनेम ‘महाराज’ रखा था. वहीं, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ज्यॉफ्री बॉयकॉट ने सौरव को ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ का नाम भी दिया था.
सौरव गांगुली के पिता चंडीदास गांगुली और मां निरूपा गांगुली की गिनती कोलकाता के रइसों में होती थी. उनके पिता चंडीदास ने अपने एक इंटरव्यू में मजाक में कहा था कि उनके छह भाई और पांच बहनें हैं, और वे अकेले भारतीय प्लेइंग इलेवन बना सकते थे.
हालांकि, 8 जुलाई 1972 को जन्मे गांगुली को देश के उन खिलाड़ियों में गिना जाता है जिन्होंने भारत को विश्व क्रिकेट में महान ऊंचाइयों पर पहुंचाया. बंगाल के एक अमीर और प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखने वाले गांगुली की क्रिकेट यात्रा एक रोलर-कोस्टर राइड की तरह रही है.
बचपन में बनना चाहते थे फुटबॉलर
हालांकि, स्टाइलिश बाएं हाथ के बल्लेबाजी करने वाले क्रिकेटर शुरू से क्रिकेट नहीं खेलना चाहते थे. कोलकाता के सेंट जेवियर्स स्कूल में पढ़ाई के दौरान वे एक फुटबॉल प्लेयर बनना चाहते थे. लेकिन किस्मत उन्हें क्रिकेट की तरफ ही ले आई.
एक फुटबॉल लवर, गांगुली को उनके बड़े भाई स्नेहाशीष ने क्रिकेट की ओर धकेल दिया था, जो खुद बंगाल के एक जाने माने क्रिकेटर थे. कहा जाता है कि गांगुली के लेफ्ट हैंड के बैटिंग करने के पीछे भी उनके भाई ही बड़ी वजह हैं. दाएं हाथ के होने के बावजूद, सौरव ने बाएं हाथ से बल्लेबाजी करना सीखा ताकि वे अपने भाई के इक्विपमेंट या क्रिकेट के सामान का इस्तेमाल कर सकें.
क्रिकेट में ऐसे हुई एंट्री
दरअसल, सौरव गांगुली ने रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन के बाद वनडे टीम में अपनी जगह बनाई थी. गांगुली ने जनवरी 1992 में ऑस्ट्रेलिया में कुल 19 साल में वन डे डेब्यू किया था. हालांकि, वे उसमें ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे. लेकिन, गांगुली ने 1996 में इंग्लैंड के टेस्ट टूर में ज़बरदस्त वापसी की. इसमें उन्होंने अपने पहले दो टेस्ट में शतक जड़े, सचिन तेंदुलकर के साथ साझेदारी कर विश्व कप के खिलाड़ी बन गए और 8200 रन बनाकर शार्ट फॉर्मेट में दुनिया की सबसे सफल सलामी जोड़ी बनीं.
आपको बता दें, क्रिकेट के मैदान के क्लासिक बैट्समैन को ‘दादा’ भी कहा जाता है. यानी बड़ा भाई. ये नाम उन्हें तब मिला जब गांगुली टीम इंडिया के कप्तान बने और इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट ट्रॉफी जीतकर लॉर्ड्स के पवैलियन में जब उन्होंने टीशर्ट लहराई.
राजनीतिक पारी शुरू करने अटकलें
गौरतलब है कि काफी समय से कहा जा रहा है कि गांगुली राजनीति में नई पारी खेल सकते हैं. पिछले दिनों जब उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की तब इस अफवाह को और भी हवा मिल गई. गृह मंत्री ने ये मुलाकात सौरव गांगुली के घर पर की थी. इस दौरान शाह और गांगुली ने साथ में डिनर भी किया था.