
काशी न केवल धर्म और आस्था के लिए लोग आते हैं, बल्कि सात समंदर पार से विदेशी अपनी शारीरिक क्षमताओं को परखने भी आते हैं. जानकर भले ही हैरानी हो रही हो, लेकिन नागपंचमी के पावन पर्व पर ऐसा ही नजारा काशी के अखाड़ों में देखने को मिल जाती है. जहां सैकड़ों वर्षों से नागपंचमी के पर्व पर कुश्ती, जोड़ी, गदा और डंबल के जरिये पहलवान अपनी शारीरिक क्षमताओं को चुनौती देते हैं. वाराणसी के सोनारपुरा इलाके के कालीबाड़ी अखाड़े में ऐसा ही कुछ देखने को मिला, जब स्पेन के खेल 'मेसफ्लो' के खिलाड़ी सेंटियागो, जिन्हें सेंटी या फिर शांति के नाम से भी जानते हैं.
गमछा बांधकर अखाड़े में उतरा विदेशी-
गमछा बांधकर तैयार हो रहा सिक्स पैक्स वाला यह गोरा स्पेन का सेंटियागो है, जो नागपंचमी के दिन सात समंदर पार काशी में खास तौर से इसलिए आया है कि अपनी शारीरिक क्षमताओं को आजमा सके. वाराणसी के सोनारपुरा इलाके के काली बाड़ी अखाड़े में जैसे ही हो रहे दंगल में सेंटियागो पहुंचा, वैसे ही स्थानीय पहलवान हैरान हो गए. लेकिन स्पेन के खेल 'मेसफ्लो' के खिलाड़ी और प्रशिक्षक सेंटियागो के आग्रह के बाद उन्हें मौका मिला. फिर क्या था सेंटियागो ने भी एक बार एक जोड़ी, गदा और डंबल फेरा.
सेंटियागो ने बताया कि वे अपने देश में मेसफ्लो का खिलाड़ी और प्रशिक्षक है. ये खेल भारतीय अखाड़ों के जोड़ी और गदा से मिलता जुलता है. इसी खेल में खुद को निखारने के लिए दूसरी बार काशी आए हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें काशी के पहलवानों से काफी प्रेरणा भी मिलती है. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने खेल मेसफ्लो में काशी के अखाड़ों की वजह काफी सुधार लाया है. वे अखाड़ों में ईश्वर की पूजा से काफी प्रभावित है और वे भी जय श्री राम और जय हनुमान का जाप करते हैं और इससे काफी मदद भी मिलती है.
कालीबाड़ी अखाड़े का इतिहास-
भारतीय पारंपरिक खेल के प्रोत्साहक ज्ञान सिंह ने बताया कि कभी काशी में 105 अखाड़े हुआ करते थे, लेकिन अभी 29 ही बचे हैं. नागपंचमी के दिन पहलवान अपनी प्रतिभी दिखाते हैं. जिसमें विदेशी भी प्रभावित होकर आते हैं. काशी के कालीबाड़ी अखाड़े में 10 हजार से ज्यादा खिलाड़ी खेल सीख चुके हैं. उन्होंने बताया कि सरकार को भी अपने खेलो इंडिया जैसे कैंपेन से पारंपरिक अखाड़ों के खेल को बढ़ावा देना चाहिए. वहीं, अखाड़े के प्रशिक्षक पोनी गुरू ने बताया कि नागपंचमी से शुरू होकर 2-3 महीने तक दंगल चलता रहता है. कालीबाड़ी अखाड़े के बारे में उन्होंने बताया कि कालीबाड़ी कुंजबिहार स्टेट के राजा ने इस अखाड़े की स्थापना इसलिए की, क्योंकि उन्होंने अपनी सुरक्षा की जरूरत थी. इसलिए वे अखाड़े को बनाकर पहलवानों को तैयार किया था और आज इस अखाड़े से निकले पहलवानों ने कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया है.
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