
कभी सोचा है कि जब आप “Gemini, दिल्ली का मौसम बता दो” जैसा छोटा-सा सवाल पूछते हैं, तो आपके मोबाइल स्क्रीन पर सेकंडों में जो जवाब आता है, उसके पीछे कितनी बिजली, पानी और मशीनरी खपती है?
गूगल ने अब इस राज से पर्दा उठा दिया है. कंपनी ने अपनी एक टेक्निकल रिपोर्ट में बताया है कि Gemini पर पूछी गई एक औसत क्वेरी में कितनी ऊर्जा, पानी और कार्बन उत्सर्जन शामिल होता है.
और जवाब हैरान कर देने वाला है- बस माइक्रोवेव को एक सेकंड चलाने जितनी बिजली और 5 पानी की बूँदें!
एक प्रॉम्प्ट = 0.24 वॉट-घंटा बिजली!
गूगल के मुताबिक, Gemini पर दी गई एक मिडियन (औसत) क्वेरी में 0.24 वॉट-घंटा बिजली खर्च होती है. इसे आसान भाषा में समझें तो यह उतनी ही है जितनी एक स्टैंडर्ड माइक्रोवेव ओवन एक सेकंड में खा लेता है.
यानी आपके एक सवाल का जवाब देने के लिए पूरी मशीनरी दौड़ पड़ती है, लेकिन आपको लगेगा जैसे बस हवा से जवाब निकल आया हो.
पानी की खपत- बस पांच बूंदें
AI डेटा सेंटर सिर्फ बिजली ही नहीं खाते, उन्हें ठंडा रखने के लिए पानी भी चाहिए.
गूगल की रिपोर्ट कहती है- Gemini की एक क्वेरी पर 0.26 मिलीलीटर पानी खर्च होता है. यानी आसान भाषा में कहें तो बस 5 बूँदें.
कार्बन फुटप्रिंट- आपकी एक सांस से भी कम
रिपोर्ट बताती है कि हर प्रॉम्प्ट से औसतन 0.03 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है.
इसे ऐसे समझिए- आप अगर एक सांस लेते हैं तो उससे ज़्यादा कार्बन निकलती है. यानी Gemini आपके सवालों से फिलहाल धरती को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा रहा.
लेकिन आखिर ये प्रोसेस कैसे चलता है?
अब बड़ा सवाल- जब आप कोई प्रॉम्प्ट लिखते हैं तो Gemini या ChatGPT उसे कैसे समझते हैं और उसमें ऊर्जा कहाँ खर्च होती है? चलिए इसे आसान स्टेप्स में समझते हैं:
1. आपका प्रॉम्प्ट दर्ज होता है
2. AI मॉडल एक्टिव होता है
3. CPU और मेमोरी का सपोर्ट
4. बैकअप मशीनें हमेशा ऑन रहती हैं
5. कूलिंग और पावर सिस्टम
यानी जब आपको लगता है कि बस एक लाइन का जवाब मिला, उसके पीछे हज़ारों मशीनें सेकंडों तक दौड़ी हैं.
गूगल का दावा- अब पहले से 33 गुना कम खपत
रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया- मई 2024 की तुलना में मई 2025 में Gemini की औसत क्वेरी पर लगने वाली ऊर्जा 33 गुना कम हो चुकी है.
गूगल का कहना है कि उसने अपने मॉडल्स को बेहतर और स्मार्ट बनाया है, जिसकी वजह से अब कम बिजली में ज्यादा काम हो रहा है.
भारी-भरकम क्वेरी ज्यादा खपत करेंगी
ध्यान रहे, ये औसत आंकड़े हैं. अगर आप Gemini को छोटा सवाल पूछते हैं तो कम बिजली लगेगी, लेकिन अगर आप उसे 50 किताबें अपलोड करके सारांश लिखने को कहेंगे, तो वह कहीं ज्यादा ऊर्जा खर्च करेगा.
इसी तरह, रीज़निंग मॉडल्स (जो स्टेप बाय स्टेप सोचकर जवाब देते हैं) भी साधारण चैट से ज्यादा ऊर्जा खाएंगे.
तो अगली बार जब आप Gemini या ChatGPT से पूछें- “मुझे कल का राशिफल बता दो”- तो याद रखिए, आपका यह छोटा-सा सवाल मशीनों की पूरी फौज को दौड़ा देता है, जो कुछ सेकंड तक बिजली, पानी और कंप्यूटिंग पावर झोंककर आपके लिए जवाब बनाती हैं.
यानी AI का जादू दिखने में आसान है, पर इसके पीछे खर्च होती है बिजली, पानी और धरती का कीमती संसाधन.