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Google हटाने जा रहा Incognito Mode का सर्च डेटा, जानें $5 बिलियन वाले इस Privacy Lawsuit के बारे में... जिससे जुड़े हैं इसके तार

मुकदमे का केंद्र Google के क्रोम ब्राउजर में "इन्कॉग्निटो मोड" फीचर था. जिसके बारे में केस करने वाले ने तर्क दिया था कि इस मोड में यूजर्स को यह विश्वास दिलाया गया है कि उनकी ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक नहीं किया जा रहा है. लेकिन ऐसा नहीं है. इस डेटा को ट्रैक किया जाता है.

Google Chrome (Photo: Unsplash) Google Chrome (Photo: Unsplash)
हाइलाइट्स
  • 30 जुलाई को होगी सुनवाई 

  • इन्कॉग्निटो मोड की जांच की जा रही है

ज्यादातर लोग गूगल चलाने के लिए Incognito Mode इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अब Google इन्कॉग्निटो मोड के सर्च डेटा को हटाने जा रहा है. दरअसल, गूगल का कहना है कि वह इसका कुछ सर्च डेटा डिलिट करने जा रहा है. इसके पीछे की वजह 5 बिलियन डॉलर वाला प्राइवेसी लॉ सूट है. Google ने इस मुकदमे को सुलझाने के लिया समझौता किया है. समझौते के रूप में गूगल ने बड़ी मात्रा में सर्च डेटा को हटाने पर सहमति जताई है. मुकदमे में आरोप लगाया गया कि Google उन लाखों अमेरिकी यूजर पर नजर रख रहा है जो मानते थे कि वे प्राइवेट तौर पर इंटरनेट ब्राउज कर रहे हैं. 

पारदर्शिता की ओर ऐतिहासिक कदम

फाइलिंग में वकील डेविड बोइस ने टिप्पणी की, "यह समझौता कंपनियों के लिए काफी जरूरी है. इससे यूजर्स के प्रति वे और भी ईमानदार हो सकेंगे. साथ ही यूजर को पता चल सकेगा कि कंपनियां यूजर डेटा कैसे इकट्ठा करती है और उसका उपयोग कैसे करती हैं. या फिर इकट्ठा किए गए डेटा को कैसे हटाती है और सुधारती है. यह समझौता टेक्नोलॉजी कंपनियों को उनके डेटा स्टोरेज के लिए जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. 

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30 जुलाई को होगी सुनवाई 

जज यवोन गोंजालेज रोजर्स के सामने अब 30 जुलाई को सुनवाई होनी है. इस सुनवाई में यह तय किया जाएगा कि इस डील को मंजूरी दी जाए या नहीं. इससे Google को क्लास-एक्शन सूट से बचने की अनुमति मिल सकेगी. 

इसे लेकर Google के प्रवक्ता जॉर्ज कास्टानेडा ने कहा, "हम इस मुकदमे को निपटाने से काफी खुश हैं. जॉर्ज ने यह भी बताया कि गूगल व्यक्तियों से जुड़े पुराने टेक्नीकल डेटा को हटाने वाला है. ये वो डेटा होगा जो अभी इस्तेमाल में नहीं लाया जा रहा है." 

इन्कॉग्निटो मोड की जांच की जा रही है

मुकदमे का केंद्र Google के क्रोम ब्राउजर में "इन्कॉग्निटो मोड" फीचर था. जिसके बारे में केस करने वाले ने तर्क दिया था कि इस मोड में यूजर्स को यह विश्वास दिलाया गया है कि उनकी ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक नहीं किया जा रहा है. जबकि इंटरनल गूगल कम्युनिकेशन से पता चला है कि इन्कॉग्निटो मोड का उपयोग करने के बावजूद, वेब ट्रैफिक को ट्रैक करने और टार्गेटेड विज्ञापनों को बनाने के लिए गूगल उनके सर्च डेटा की निगरानी कर रहा है.

कूकीज भी हैं चिंता का विषय 

समझौते के हिस्से के रूप में, Google को अगले पांच साल के लिए इन्कॉग्निटो मोड में डिफॉल्ट रूप से थर्ड पार्टी ट्रैकिंग "कुकीज" को ब्लॉक करेगा. बता दें, वेब नेविगेशन पर आधारित टार्गेटेड विज्ञापन के लिए अक्सर इनकी कूकीज का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में ये प्राइवेसी से जुड़ी चिंताओं का विषय रही हैं.