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Mind Reading Device: आप क्या सोच रहे हैं? बता सकता है ये डिवाइस, IIT Jodhpur की टीम ने तैयार की एक अनोखी तकनीक

जोधपुर आईआईटी (Jodhpur IIT) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक तैयार की है., जो दिमाग को पढ़कर ये बता सकती है कि कोई इंसान क्या सोच रहा है? वो कैसा महसूस कर रहा है? यह तकनीक में दिमाग और मांसपेशियों के सिग्नल को मिलाकर एक सहायक रोबोटिक डिवाइस चलाई जाती है.

IIT Jodhpur IIT Jodhpur

किसी व्यक्ति का दिमाग पढ़ना असंभव होता है. कोई ये नहीं समझ पाता कि दूसरा आदमी क्या महसूस कर रहा है? लेकिन अब ये संभव हो पाएगा. जोधपुर आईआईटी ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है, जिसकी मदद से ये समझा जा सकता है कि सामने वाले व्यक्ति के दिमाग में क्या चल रहा है? वो क्या सोच रहा है? इस तकनीक की मदद से दिमाग के बारे में कई चीजें जानने को मिलेगी.

जोधपुर IIT की रिसर्च-
आईआईटी जोधपुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक तैयार की है, जो दिमाग की गतिविधियों को पढ़ सकती है. ये तकनीक ये बता सकती है कि सामने वाला व्यक्ति क्या सोच रहा है? वो कैसा महसूस कर रहा है? यह तकनीक ईईजी मशीन और एआई को मिलाकर बनाई गई है. इसके साथ ही इससे ये भी पता लगाया जा सकता है कि दिमाग का कौन सा हिस्सा व्यक्ति को निगेटिव और पॉजिटिव सोच की तरफ ले जा रहा है.

लैब में हो रहा टेस्ट-
जोधपुर आईआईटी की इस तकनीक का लैब में टेस्ट चल रहा है. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्च टीम की अगुवाई डॉ. विग्नेश मुरलीधरन कर रहे हैं. इस तकनीक का इस्तेमाल मरीजों के इलाज में किया जा सकता है. इसकी मदद से डॉक्टर ये समझ पाएंगे कि मरीज को किस तरह के इलाज की जरूरत है.

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दिमाग को समझने की कोशिश-
डॉ. मुरलीधरन का कहना है कि उनका टीम ये समझने की कोशिश कर रही है कि हमारा दिमाग अचानक होने वाली हरकतों पर कैसा रिएक्ट करता है. उसे कैसे रोकता है. इस प्रोसेस को डिकोड किया जा रहा है. डॉक्टर का कहना है कि एडीएचडी, ऑटिज्म और पार्किंसन जैसी बीमारियों में यह सिस्टम काम नहीं करता है. जिससे मरीजों को व्यवहार से जुड़ी समस्याएं होती हैं. उनका कहना है कि इस तकनीक की मदद से मेंटल डिजीज को रोकने में मदद मिलेगी.

कैसे काम करेगा ये डिवाइस-
डॉ. मुरलीधरन की टीम डॉ. भींवराज सुथारऔर डॉ. दीपांजन रॉय के साथ मिलकर काम कर रही है. इसे ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस तकनीक कहा जा रहा है. इस तकनीक में दिमाग और मांसपेशियों के सिग्नल को मिलाकर एक रोबोटिक डिवाइस चलाई जाती है. यह डिवाइस मरीजों के दिमाग में आने वाले विचारों को पढ़कर उनकी सोच को समझ सकती है. 

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