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स्पेस टेक्नोलॉजी में विकसित देशों को पीछे छोड़ेगा भारत, कई नई तकनीकों पर इसरो कर रहा काम

इसरो की नई प्रौद्योगिकियां जैसे सेल्फ इटिंग रॉकेट अंतरिक्ष क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे. फिलहाल स्पेस डेब्रिस सभी स्पेस एजेंसियों के लिए एक चिंता का कारण बनी हुई है. हाल ही में, रूस के एक एंटी सैटेलाइट टेस्ट से पैदा हुए मलबे यानी डेब्रिस ने न केवल अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल दिया था.

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हाइलाइट्स
  • भविष्य की कई तकनीकों पर कर रहा है काम 

  • जल्द ही ढूंढा जाएगा ‘स्पेस डेब्रिस’ का समाधान

  • क्वांटम कम्युनिकेशन की बढ़ाएगा स्पीड

अंतरिक्ष में अपनी साख मजबूत करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) कई प्रमुख तकनीकों पर काम कर रहा है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी नासा और रोस्कोस्मोस जैसे दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा के रूप में अपने किनारों को तेज करने के लिए क्वांटम कम्युनिकेशन, सेल्फ वैनिशिंग सैटेलाइट्स और ह्यूमनॉइड रोबोट जैसे नए उपकरणों में संभावनाएं खोज रही है. इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने मंगलवार को 'डीटीडीआई-प्रौद्योगिकी-कॉन्क्लेव-2021' में इन नई तकनीकों के बारे में बताया, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में शोध के लिए संभावित तकनीक को अनलॉक करना है.

भविष्य की कई तकनीकों पर कर रहा है काम 

के सिवन ने लोगों को भविष्य की कई तकनीकों के बारे में अवगत कराया, जिन पर इसरो ने अनुसंधान और विकास शुरू किया है. इनमें सैटेलाइट बेस्ड क्वांटम कम्युनिकेशन, क्वांटम रडार, सेल्फ ईटिंग रॉकेट, सेल्फ वैनिशिंग सैटेलाइट, सेल्फ हीलिंग मैटेरियल्स, ह्यूमनॉइड रोबोटिक्स, स्पेस बेस्ड सोलर पावर, इंटेलिजेंस सैटेलाइट, मेक-इन-स्पेस कॉन्सेप्ट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड स्पेस एप्लिकेशन और स्पेस व्हीकल्स शामिल हैं. 

जल्द ही ढूंढा जाएगा ‘स्पेस डेब्रिस’ का समाधान 

इसरो की नई प्रौद्योगिकियां जैसे सेल्फ इटिंग रॉकेट अंतरिक्ष क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे. फिलहाल स्पेस डेब्रिस सभी स्पेस एजेंसियों के लिए एक चिंता का कारण बनी हुई है. हाल ही में, रूस के एक एंटी सैटेलाइट टेस्ट से पैदा हुए मलबे यानी डेब्रिस ने न केवल अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल दिया था. इसरो कक्षा में निष्क्रिय उपग्रहों या रॉकेट बूस्टर और पेलोड फेयरिंग में बने मलबे जो लॉन्च के बाद भी कक्षा में रहते हैं, का समाधान खोजने पर काम कर रहा है.

क्वांटम कम्युनिकेशन की बढ़ाएगा स्पीड 

वहीं क्वांटम कम्युनिकेशन पर इसरो का रिसर्च क्वांटम मैकेनिज्म का पता लगाने वाले क्वांटम कंप्यूटरों के आने वाले युग में रिले को तेज और अधिक सुरक्षित बना देगा. इसरो ने इस साल की शुरुआत में एक खुली जगह में इस तकनीक का परीक्षण किया था. चीन के पास पहले से ही क्वांटम कम्युनिकेशन को समर्पित एक उपग्रह, माइकियस है और चीन पहले ही प्रयोगशाला में 404 किलोमीटर लंबे एक कोईल्ड ऑप्टिकल फाइबर पर क्वांटम कम्युनिकेशन पर टेस्ट कर चुका है.