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अब सेप्टिक टैंक की जहरीली गैसों से नहीं होगी सफाई कर्मचारियों की मौत, रोबोट करेगा काम आसान

सीवर की सफाई के लिए अक्सर लोगों को आपने मैनहोल या सेप्टिक टैंक में उतरते देखा होगा. अक्सर मैन होल में दम घुटने और जहरीली गैसों की वजह से कई सफाई करने वालों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है, लेकिन अब सफाई के लिए मैनहोल में उतरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अब ये काम रोबोट के जरिये किया जा सकेगा.

अब सेप्टिक टैंक की जहरीली गैसों से नहीं होगी सफाई कर्मचारियों की मौत अब सेप्टिक टैंक की जहरीली गैसों से नहीं होगी सफाई कर्मचारियों की मौत
हाइलाइट्स
  • हर साल लगभग 100 सफाई कर्मचारियों की हुई मौत

  • सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए बनाई गई पॉलिसी

देशभर में आमतौर से सीवेज या फिर सीवर की सफाई अमानवीय और असुरक्षित तरीके से ही होती रही है. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. कानपुर में एक रोबोट ने इंसानों का काम आसान कर दिया है. दिखने में तो ये मशीन काफी साधारण है, लेकिन इसकी खूबी असाधारण है. 

10 मिनट में होगी सीवर की सफाई
दरअसल कानपुर में एक रोबोट है, जो मैनहोल की सफाई के लिए केरल से कानपुर लाया गया है. मतलब ये कि सफाई के लिए मैनहोल के अंदर किसी को भी जाने की जरूरत नहीं है, रोबोट में लगे चार कैमरे सीवर की गंदगी को तलाश करेंगे, इसके बाद रोबोट की मदद से सिर्फ 10 मिनट में सीवर साफ हो जाएगा.

Robot

मौतों पर क्या कहते हैं आंकड़े
कानपुर का ये रोबोट अहम इसलिए भी है क्योंकि पिछले कुछ सालों में ऐसी घटनाएं बार-बार देखने को मिली हैं, जब दमघोंटू जहरीली गैस की वजह से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी हो. अगर आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो देश में 5 साल के दौरान सीवर की सफाई करते समय 330 मजदूरों की मौत हुई है, सरकार की ओर से मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में ये जानकारी दी गई. 2017 से 2021 तक सबसे अधिक 47 मजदूरों की मौत उत्तर प्रदेश में हुई. इन पांच सालों में 2019 के दौरान सीवर की सफाई करते हुए सबसे अधिक 116 मजदूरों की मौत हुई. वहीं, 2020 में सबसे कम 19 मजदूरों ने अपनी जान गंवाई. 1993 के बाद से सीवर साफ करते हुए 941 लोग अपनी जान गवां चुके हैं. जिसमें तमिलनाडु में  213 लोगों की मौत. गुजरात में 153, उत्तर प्रदेश में 104, दिल्ली में 98, कर्नाटक में 84 और हरियाणा में 73 लोगों की सफाई के दौरान मौत हो चुकी है.

हर साल लगभग 100 सफाई कर्मचारियों की हुई मौत
मतलब ये कि हर साल लगभग 100 सीवर सफाई कर्मचारी, या तो दमघोंटू जहरीली गैस से, या फिर सीवर में फंसकर मारे जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट और अदालतें सीवर की मैन्युअल यानी मानव आधारित सफाई को गैरकानूनी ठहरा चुकी हैं. मैनुअल स्कैवेंजिंग यानी हाथ से नालों की सफाई एक्ट 2013 के तहत सीवर में सफाई के लिए किसी भी व्यक्ति को उतारना पूरी तरह गैर-कानूनी है.

सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए बनाई गई पॉलिसी
अगर किसी खास स्थिति में किसी को सीवर में उतारना ही पड़े तो उसके लिए कई तरह के नियमों का पालन जरूरी है. मसलन, जो शख्स सीवर की सफाई के लिए उतरे, उसे ऑक्सीजन सिलेंडर, स्पेशल सूट, मास्‍क, सेफ्टी उपकरण देना जरूरी है. सरकार ने सेप्टिक टैंक और सीवर सिस्टम की सफाई के दौरान होने वाले हादसों को टालने के लिए 'नेशनल पॉलिसी ऑन मैकेनाइज्ड सैनिटेशन ईको सिस्टम' बनाई है. जिसके तहत देश के हर जिले में सीवर सिस्टम के रखरखाव के लिए एक पेशेवर एजेंसी बनाई जानी है. सुरक्षा, सेवा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मशीनों की भूमिका अब अहम होती जा रही है. मेडिकल से लेकर सीमा सुरक्षा तक के क्षेत्र में रोबोट की मदद ली जा रही है, जिससे इंसानी जिंदगी को महफूज़ रखा जा सके.