
स्वीडन की मशहूर फिनटेक कंपनी Klarna ने दो साल पहले OpenAI के साथ पार्टनरशिप की. इसके तरह कंपनी ने इंसानों की जगह मशीनों को काम पर लगाया और बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी कर दी. कंपनी का दावा था कि AI इंसानों जैसा ही नहीं, उनसे बेहतर काम कर सकता है. लेकिन रिजल्ट एकदम उल्टा आया. Klarna को एक बार फिर कंपनी की ग्रोथ के लिए इंसानों की जरूरत पड़ गई है.
दो साल पहले कर्मचारियों को हटाकर AI से कराया काम
Klarna ने 2023 में हायरिंग बंद कर दी और करीब 700 कस्टमर सर्विस एजेंट्स की जगह AI टूल्स को लगा दिया गया और उन सभी लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया जो कस्टमर सर्विस हैंडल करते थे. लेकन बीते 2 सालों में ग्राहकों को वैसा अनुभव नहीं मिल पाया जो इंसानों के काम से मिलता था.
अब फिर से कंपनी में हो रही भर्तियां
कंपनी के CEO सेबास्टियन सिएमियाटकोव्स्की ने खुद माना कि “ब्रांड और कंपनी की छवि के लिए यह बेहद जरूरी है कि ग्राहक को भरोसा उनपर बना रहे लेकिन AI की वजह से लोगों का भरोसा कम होता गया. सिएमियाटकोव्स्की को मानना पड़ा है कि AI इंसानों जैसी क्वालिटी नहीं दे सकता. अब Klarna एक बार फिर बड़ी भर्ती की तैयारी कर रही है.
कर्मचारियों की संख्या 5,500 से घटकर 3,400 रह गई
सेबास्टियन का मानना है कि कंपनी ने efficiency बढ़ाने के नाम पर कॉस्ट कटिंग को ज्यादा अहमियत दी, जिससे सर्विस की गुणवत्ता प्रभावित हुई. Klarna में कर्मचारियों की संख्या दिसंबर 2022 में 5,527 थी, जो दिसंबर 2024 तक घटकर 3,422 रह गई. AI की वजह से 1,000 से ज्यादा नौकरियां गईं. खासकर मार्केटिंग, डेटा एनालिसिस, ट्रांसलेशन और कस्टमर सपोर्ट जैसे डिपार्टमेंट में.
Duolingo और CrowdStrike भी कर चुके हैं ऐसा
Klarna अकेली ऐसी कंपनी नहीं है जो AI के भरोसे आई और फिर नुकसान में चली गई. इसी महीने साइबरसिक्योरिटी कंपनी CrowdStrike ने भी 5% कर्मचारियों की छंटनी कर AI से काम कराने की बात की. वहीं Duolingo ने तो ठेके पर काम करने वालों को हटाने और AI से परफॉर्मेंस रिव्यू तक करवाने का फैसला किया है.