
पिछले कुछ समय से सभी लोग अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जा रहे डेटा को लेकर चिंतित हैं. अब इसी कड़ी में सरकार ने डिजिटल डेटा पर्सनल बिल 2022 का एक और मसौदा प्रस्तावित कर दिया है. बता दें, काफी आलोचना के बाद इस बिल को अगस्त 2022 में वापस ले लिया गया था. लेकिन अब बिल आम जनता के लिए भी प्रतिक्रिया के लिए तैयार है. इसके बारे में ट्वीट करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी है. उन्होंने आम जनता से इस बिल पर उनके विचार मांगे हैं.
बताते चलें कि लगभग 81 संशोधनों की मांग के बाद, सरकार ने शुक्रवार को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 का प्रस्ताव दिया हैंऔर आगे एक लिंक जारी किया, जिसमें लोग बिल पर अपनी प्रतिक्रिया भेज सकते हैं.
इस बिल में क्या किया गया है शामिल?
डिजिटल डेटा पर्सनल बिल 2022 के ड्राफ्ट में भारत के डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है. ये बोर्ड बिल के प्रावधानों के अनुसार काम करेगा. इसके अलावा, अगर बोर्ड जांच के निष्कर्ष पर निर्धारित करता है कि किसी व्यक्ति कोई गलत चीज की गई है, तो वह व्यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद, वित्तीय जुर्माना लगा सकता है. इसमें 5 सौ करोड़ रुपये तक का जुर्माना है.
डेटा फिड्यूशरी में 200 करोड़ जुर्माना
इस ड्राफ्ट में डेटा फिड्यूशरीज के लिए एक ग्रेडेड पेनल्टी सिस्टम प्रस्तावित किया है जो डेटा मालिकों के व्यक्तिगत डेटा को केवल अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संसाधित करेगा. पेनेल्टी का एक ही सेट डेटा प्रोसेसर पर लागू होगा - जो एक ऐसी यूनिट होगी जो डेटा फिड्यूशरी की ओर से डेटा को प्रोसेस करेगी. इतना ही नहीं बल्कि मसौदे में 250 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव किया गया है. अगर कोई डेटा फिड्यूशरी करता मिला तो उसे ये भरना होगा.
इसके अलावा, ड्रॉफ्ट में ये भी कहा गया है कि अगर डेटा फिड्यूशरी या डेटा प्रोसेसर डेटा उल्लंघन के बारे में बोर्ड और डेटा मालिक को सूचित करने में विफल रहता है तो उसे 200 करोड़ रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है.
बिल 7 सिद्धांतों पर है आधारित
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा जारी इस ड्राफ्ट में सात सिद्धांतों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन पर ये बिल आधारित है. इसमें संगठनों द्वारा व्यक्तिगत डेटा का उपयोग इस तरह से किया जाना चाहिए जो संबंधित व्यक्तियों के लिए वैध, निष्पक्ष और व्यक्तियों के लिए पारदर्शी हो और व्यक्तिगत डेटा का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए किया जाए जिसके लिए इसे लिया गया है.
डिजिटल नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को तय करेगा
ड्राफ्ट में ये भी प्रावधान है कि किसी विशिष्ट उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए केवल जरूरी पर्सनल डेटा को ही इकठ्ठा किया जाना चाहिए और इसे डिफॉल्ट रूप से लिया जाना चाहिए. नोट में कहा गया है कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल एक ऐसा कानून है जो एक तरफ नागरिक (डिजिटल नागरिक) के अधिकारों और कर्तव्यों को तय करता है और दूसरी तरफ डाटा फिड्यूशरी के एकत्रित डेटा का कानूनी रूप से उपयोग करने के दायित्वों को निर्धारित करता है.