
रूसी रक्षा मंत्रालय ने रविवार को जानकारी दी कि यूक्रेन ने FPV (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन से उसपर हमला किया. यह हमले मरमंस्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रियाज़ान और अमूर क्षेत्र में किए गए. साथ ही कहा कि इवानोवो, रियाज़ान और अमूर हवाई अड्डों पर किए गए सभी हमलों को सफलतापूर्वक विफल कर दिया गया.
जबकि यूक्रेन सिक्योरिटी सर्विस का दावा है उसने 40 रूसी प्लेन को तबाह किया. यह तबाही उसने एक ड्रोन स्ट्राइक की मदद से मचाई. बता दें कि यह हमला इस्तानबुल में होने वाली शांती चर्चा से पहले किया गया.
जिस फुटेज को साझा किया गया है, उसमें साफ देखा जा सकता है कि किस तरह ड्रोन को लॉन्च किया गया. जबकि लोग उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे. यूक्रेन ने दावा किया कि हमले में 41 लड़ाकू विमान जिसमें Tu-95, Tu-22M, and A-50s शामिल हैं. उनपर हमला किया गया.
क्या है FPV ड्रोन?
फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन दरअसल काफी छोटे ड्रोन होते हैं. जिनके आगे कैमरा लगा होता है. इसको चलाने वाला एक खास तरह का चश्मा पहनता है. और जो कुछ भी ड्रोन के कैमरे में दिखता है वह चालक के चश्मे में दिखाई पड़ता है. यह बिलकुल एक गेम की तरह ही है. चालक को बिलकुल ऐसा लगता है कि वो ड्रोन के कॉकपिट में बैठा है.
इस तरह की तकनीक का फायदा यह होता है कि चालक पूरी सटीकता के साथ सही निशाने पर हमला कर पाता है. साथ ही किसी जगह से ड्रोन निकल पाएगा या नहीं यह भी चालक को पता चल जाता है. जबकि दूसरे प्रकार के ड्रोन में कैमरा चश्मे के साथ जुड़ा हुआ नहीं होता है. इसलिए चालक को सटीकता का अंदाजा उतनी गहराई से नहीं लग पाता है.
हॉबी का साधन बना जंग का हथियार
दरअसल ड्रोन्स को हॉबी या मनोरंजन के लिए तैयार किया गया था. लेकिन अब एफपीव्यू जैसे ड्रोन अब जंग में युद्धभूमि पर उतर रहे हैं. इनमें अकसर विस्फोटक सामग्री को डाला जाता है और इन्हें सीधा दुश्मन के अड्डे पर गिरा दिया जाता है. जिससे ड्रोन को तबाह होता ही है लेकिन मुख्य निशाना दुश्मन का अड्डा भी खत्म हो जाता है.
क्यों हो रहा ड्रोन का इस्तेमाल
द एटलांटिक काउंसिल का कहना है कि लोगों का ड्रोन का तरफ रुझान इसलिए भी ज्यादा बढ़ा है क्योंकि यह सस्ते होते हैं. लेकिन इतनी क्षमता रखने है कि दुश्मन की बख्तरबंद गाड़ी के भी परखच्चे उड़ा दें. यूक्रेन ने एफपीव्यू का इस्तेमाल रूस के खिलाफ बखूबी किया है. जहां सैनिक टैंक और आर्मी की गाड़ियों का इस्तेमाल करते, उसकी जगह सीधा ड्रोन भेजकर सटीक निशाना लगाकर अपना मिशन पूरा किया. नाटो के एक अधिकारी ने बताया कि रूस के दो तिहाई से ज्यादा टैंक यूक्रेन के एफपीव्यू ड्रोन के शिकार बने.
यूक्रेन बना रहा खुद के FPV ड्रोन
इस ड्रोन की क्षमता को देखते हुए यूक्रेन ने फैसला किया है कि वह खुद के ऐसे ड्रोन बनाएगा. इसके लिए वह प्राइवेट ग्रुप से फंडिंग करवाएगा. रक्षा मंत्रालय ने फैसला किया है कि वह 2025 में 45 लाख FPV ड्रोन खरीदेगा. जिसके लिए उसने बजट भी तय कर लिया है.