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Sodium-Ion Bikes in China: पेट्रोल नहीं, नमक से चलते हैं चीन के ये नए स्कूटर, 15 मिनट में हो जाते हैं चार्ज... जानिए इनकी खासियत

बाज़ार में आमतौर पर मिलने वाले इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन लेड-एसिड या लिथियम-आयन से चलते हैं. लेकिन पूर्वी चीन के हांग्झोउ में एक मॉल के बाहर खड़े स्कूटर अलग हैं. इन्हें चलाने के लिए चीन समुद्री नमक का कैसे इस्तेमाल कर रहा है, समझिए.

Representational Image: Gemini AI Representational Image: Gemini AI

लिथियम-आयन बैट्री से चलने वाले इलेक्ट्रिक स्कूटर्स धीरे-धीरे दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में अपने पैर पसार रहे हैं. सरकारें भी पेट्रोलियम इकॉनमी से दूर होकर इलेक्ट्रिक इकॉनमी की ओर बढ़ रही हैं. लेकिन चीन जब हर मामले में बाकी दुनिया से चार कदम आगे रहा है तो यहां कैसे पीछे रहता. सारी दुनिया जहां इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लिथियम-आयन पर निर्भर है, वहीं चीन अब ऐसे स्कूटरों की ओर रुख कर रहा है जो नमक से भी चल सकते हैं.

चीन में शुरू हुआ सोडियम-आयन युग?
बाज़ार में आमतौर पर मिलने वाले इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन लेड-एसिड या लिथियम-आयन से चलते हैं. लेकिन पूर्वी चीन के हांग्झोउ में एक मॉल के बाहर खड़े स्कूटर अलग हैं. इनकी बैट्री लिथियम से नहीं बल्कि सोडियम से बनी है. वही सोडियम जो समुद्री नमक से भरपूर मात्रा में निकाला जा सकता है. 

बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि चीन में इन स्कूटर्स का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है. कंपनियां लोगों को इनकी ओर रुख करने के लिए प्रेरित कर रही हैं. एक स्कूटर की कीमत 400 से 600 डॉलर के बीच है और ये सिर्फ 15 मिनट में शून्य से 80 प्रतिशत तक चार्ज हो जाते हैं. 

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कौनसी कंपनियां इस रेस में आगे?
एक ओर जहां बाकी दुनिया लिथियम-आयन बैट्री बनाने में चीन के साथ कंधे से कंधा मिलाने की कोशिश कर रही थी, वहीं अब चीन ने सोडियम-आयन बैट्रीज़ की ओर रुख कर लिया है. अप्रैल 2025 में, दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी निर्माता कंपनी, चीन की सीएटीएल (CATL) ने इस साल एक नए ब्रांड नैक्सट्रा के तहत भारी-भरकम ट्रकों और कारों के लिए सोडियम-आयन बैटरी का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की अपनी योजना की घोषणा की.

इसके अलावा हांग्झोउ में टेस्ट राइड देने वाली कंपनी याडिया चीन की उन कंपनियों में से एक है जो वैकल्पिक बैटरी टेक्नोलॉजी में बढ़त बनाने की कोशिश कर रही हैं. 

चीन के ग्रिड संचालकों ने ग्रिड को अक्षय ऊर्जा को सोखने में मदद करने के लिए सोडियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल करके ऊर्जा भंडारण स्टेशन बनाना भी शुरू कर दिया है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे कई रिसर्चर उभरती हुई तकनीक के लिए मुख्य खेल का मैदान मानते हैं. अगर सोडियम-आयन बैट्री मुख्यधारा में आती हैं तो चीन बाकी देशों से काफी आगे निकल जाएगा. फिलहाल चीन के कई शहरों में तो दोपहियान वाहन तो सोडियम आयन बैट्री की ओर रुख कर रहे हैं.

लिथियम से कैसे बेहतर है सोडियम?
सोडियम-आयन और लिथियम-आयन बैटरियों की संरचना एक जैसी होती है. मुख्य अंतर इनके आयन में है. आयन यानी वे कण जो बैटरी के पॉजीटिव और नेगेटिव के बीच आगे-पीछे होकर ऊर्जा को संग्रहीत और छोड़ते हैं. सोडियम समुद्र और पृथ्वी के क्रस्ट में भरपूर फैला हुआ है. लिथियम के साथ ऐसा नहीं है. आसान शब्दों में कहें तो लिथियम की तुलना में सोडियम लगभग 400 गुना अधिक प्रचुर मात्रा में है. 

इसलिए सोडियम-आयन सेल ज्यादा सुलभ हैं और बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए संभावित रूप से सस्ते हैं. वे बैटरी उद्योग को वर्तमान आपूर्ति सीरीज में चोकिंग पॉइंट से भी मुक्त कर सकते हैं. लिथियम अयस्क वर्तमान में मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, चीन और चिली में खनन किया जाता है. हालांकि प्रसंस्करण चीन में केंद्रित है. इसके पास दुनिया की लिथियम-शोधन क्षमता का लगभग 60% है. हालांकि, कई लोगों के पास सोडियम-आयन बैटरी लेने के दूसरे कारण भी हैं. जैसे सुरक्षा. 

साल 2024 में चीन में बैटरी में आग लगने के कई मामले सामने आए. इनमें से ज़्यादातर दोपहिया वाहनों में लिथियम-आयन बैटरी में अपने आप आग लगने के कारण हुए. वैश्विक स्तर पर, ऊर्जा भंडारण स्टेशनों पर आग लगने का जोखिम चिंता का विषय बन गया है. हाल ही में, जनवरी 2025 में कैलिफ़ोर्निया में एक प्रमुख बैटरी प्लांट के अंदर ऐसी ही एक सुविधा में आग लग गई थी.

इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना ​​है कि सोडियम-आयन बैटरी ज्यादा सुरक्षित हैं. कुछ अध्ययनों के अनुसार, लिथियम-आयन की तुलना में इनके जलने की संभावना भी कम है क्योंकि सोडियम के रासायनिक गुण ज्यादा स्थिर हैं. इस बीच कई लोग यह चेतावनी भी देते हैं कि प्रासंगिक शोध की कमी के कारण उनकी सुरक्षा के बारे में निश्चित होना अभी भी बहुत जल्दी है.

चीन बोले, हम फर्स्ट
सोडियम-आयन बैटरियों को सफल बनाने के लिए सबसे ज़रूरी है कि इनके स्टोरेज को सस्ता बनाया जाए. बीबीसी की रिपोर्ट ऊर्जा भंडारण आपूर्ति सीरीज विशेषज्ञ झेंग जियायु के हवाले से ऐसा कहती है. वर्तमान में, ऊर्जा भंडारण के लिए सोडियम-आयन बैटरियों की प्रति इकाई कीमत लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में लगभग 60% ज्यादा है. हालांकि चीन की कंपनियां इस बिजनेस को फैलाने पर आतुर हैं. 

रिसर्च एंड कंसल्टिंग फर्म वुड मैकेंजी की सलाहकार झेंग अपनी कंपनी के विश्लेषण का हवाला देते कहती हैं कि 2033 तक नियोजित वैश्विक सोडियम-आयन बैटरी क्षमता 500 GWh (Gigawatt hours) से ज्यादा हो जाएगी. अनुमान है कि चीन इसमें 90% से ज्यादा का योगदान देगा. याडिया पहले से ही दक्षिण-पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में विस्तार कर रहा है, जहां इलेक्ट्रिक स्कूटर लोकप्रिय हैं. चीन का फलसफा साफ है- वह किसी दूसरे बाज़ार की तरह यहां भी सबसे पहले कब्जा जमा लेना चाहता है.