scorecardresearch

AI Fraud Detection: ब्रिटेन में AI टूल ने पकड़ी सरकारी योजनाओं में 5000 करोड़ की धोखाधड़ी, क्या है ये टूल, क्या भारत में इसका हो सकता है इस्तेमाल?

ब्रिटेन सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से पिछले एक साल में करीब £480 मिलियन यानी लगभग 4800 करोड़ रुपए वापस हासिल किए हैं. इनमें से एक बड़ा हिस्सा कोविड-19 महामारी के दौरान हुए फ्रॉड से जुड़ा है.

AI tool helped recover fraud money (AI Generated Photo) AI tool helped recover fraud money (AI Generated Photo)
हाइलाइट्स
  • बाकी विभागों में लागू किया जाएगा ये टूल

  • इस टूल से 5000 करोड़ रुपये की राशि रिकवर की गई

मान लीजिए आपने मेहनत की कमाई से टैक्स भरा और उम्मीद की कि उससे आपके बच्चों के स्कूल, मोहल्ले का अस्पताल या इलाके की सुरक्षा बेहतर होगी लेकिन अचानक पता चले कि वही पैसा किसी फर्जी कंपनी ने मार लिया और सरकार के खाते से गायब हो गया. ऐसा ही हाल ब्रिटेन में कोविड के समय हुआ था. 

ब्रिटेन सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से पिछले एक साल में करीब £480 मिलियन यानी लगभग 4800 करोड़ रुपए वापस हासिल किए हैं. इनमें से एक बड़ा हिस्सा कोविड-19 महामारी के दौरान हुए फ्रॉड से जुड़ा है.

AI ने किया अब तक का सबसे बड़ा रिकवरी ऑपरेशन
कैबिनेट ऑफिस के मुताबिक, अप्रैल 2024 से अप्रैल 2025 तक सरकार ने 4800 करोड़ रुपए वापस लिए. यह अब तक का सबसे बड़ा अमाउंट है जो सरकारी एंटी-फ्रॉड टीम ने एक साल में रिकवर किया है. खास बात यह है कि 1860 करोड़ रुपए कोविड-19 से जुड़े घोटालों से लौटे हैं.

‘बाउंस बैक लोन स्कीम’ का हुआ था गलत इस्तेमाल
कोविड के समय सरकार ने छोटे व्यवसायों को मदद देने के लिए ‘बाउंस बैक लोन स्कीम’ चलाई थी, जिसमें 50,000 पाउंड तक का कर्ज तुरंत मिल जाता था. लेकिन इस स्कीम का बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल हुआ. कई कंपनियों ने फर्जी नाम पर लोन लिया और बाद में कंपनी बंद करके पैसा हड़प लिया.

कैसे काम करता है नया AI टूल?
सरकार ने इस काम के लिए Fraud Risk Assessment Accelerator नाम का नया AI टूल बनाया है. यह टूल न सिर्फ पहले से हुए फ्रॉड पकड़ता है, बल्कि नई नीतियों और योजनाओं को लागू करने से पहले उनकी कमजोरियों की जांच भी करता है. आसान शब्दों में कहें तो यह सिस्टम पहले से देख लेता है कि किस जगह से धोखाधड़ी हो सकती है और उसे फ्रॉड-प्रूफ बनाने की कोशिश करता है.

इससे सरकार अलग-अलग विभागों के डेटा को आपस में जोड़कर फेक पैटर्न पकड़ लेती है. मसलन, अगर किसी शख्स ने सोशल हाउसिंग पर गलत दावा किया और वही नाम किसी दूसरी स्कीम में भी संदिग्ध दिखा, तो AI तुरंत अलर्ट कर देता है.

पैसे का इस्तेमाल कहां होगा?
सरकार का कहना है कि जो पैसा वापस आया है, उसे नर्स, टीचर और पुलिस की भर्ती जैसे कामों में लगाया जाएगा. यानी जो रकम पहले फ्रॉड में जा रही थी, वह अब आम लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने में खर्च होगी.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनाया जाएगा
ब्रिटेन अब इस AI टूल को दूसरे देशों को भी लाइसेंस देने जा रहा है. शुरुआती चरण में अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इसे अपनाने की तैयारी कर रहे हैं. इस हफ्ते लंदन में होने वाले एंटी-फ्रॉड समिट में इसकी औपचारिक घोषणा होगी.

क्या भारत में इसका हो सकता है इस्तेमाल?
भारत में भी ब्रिटेन वाला AI टूल काफी काम आ सकता है, क्योंकि यहां सरकारी योजनाओं, सब्सिडी, बैंक लोन और मनरेगा जैसी स्कीमों में हर साल हजारों करोड़ रुपए का लीकेज और फ्रॉड होता है. अगर ऐसा सिस्टम लगाया जाए तो आधार, पैन, बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर जैसे डेटा को आपस में मिलाकर फर्जी पहचानें और संदिग्ध पैटर्न तुरंत पकड़ में आ सकते हैं. इससे सरकारी पैसे का बड़ा हिस्सा बच सकता है और जनता को सीधी राहत मिलेगी.

हालांकि, इस टूल को लेकर आलोचना भी हो रही है. पहले भी सरकार ने वेलफेयर फ्रॉड पकड़ने के लिए एक AI सिस्टम लगाया था, लेकिन बाद में पता चला कि वह लोगों की उम्र, शादीशुदा स्थिति, दिव्यांगता और नेशनलिटी के आधार पर पक्षपात कर रहा था.