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3D-Printed टेक्नोलॉजी से बना दुनिया का पहला रॉकेट लॉन्च के लिए तैयार, जानिए इसकी खासियत

फ्लोरिडा से बीते बुधवार को इस 3D-Printed Rocket को उड़ान भरनी थी और 3-4 घंटे लॉन्चिंग विंडो पर रहने के बाद अचानक आखिरी मिनट में इसकी लॉन्चिंग को टाल दिया गया. अब फिर इसे लॉन्च किया जा रहा है.

Terran 1 rocket made with 3D printing technology (Photo Twitter) Terran 1 rocket made with 3D printing technology (Photo Twitter)
हाइलाइट्स
  • Relativity Space ने 3D Print टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके  Terran 1 रॉकेट को किया है तैयार 

  • टेरान 1 को डाटा इकट्ठा करने के उद्देश्य से भेजा जा रहा है

दुनिया के सामने पहली बार 3D-Printed Rocket Terran 1 स्पेस में उड़ान भरने को तैयार है. 111 फीट लंबे इस रॉकेट को बुधवार को उड़ान भरनी थी, लेकिन अंतिम समय में इसकी लॉन्चिंग को स्थगित कर दिया गया. अब फिर इसकी लॉन्चिंग की जा रही है. अमेरिका बेस्ड स्टार्टअप Relativity Space ने 3D Print टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके ये रॉकेट तैयार किया है.

बुधवार को भरनी थी उड़ान 
फ्लोरिडा से बीते बुधवार को इस 3D-Printed Rocket को उड़ान भरनी थी और 3-4 घंटे लॉन्चिंग विंडो पर रहने के बाद अचानक आखिरी मिनट में इसकी लॉन्चिंग को टाल दिया गया. दरअसल, लॉन्चिंग से चंद मिनट पहले फ्यूल टैम्प्रेचर से संबंधित समस्या आने पर लॉन्चिंग को स्थगित कर दिया गया. लॉन्च के लिए कैलिफोर्निया स्थित एयरो स्टार्टअप 'रिलेटिविटी स्पेस' ने शनिवार दोपहर 1 बजे से 4 बजे की नई लॉन्च विंडो बनाई है. इस दौरान यह सैटेलाइट को उसकी कक्षा में पहुंचाएगा.

ब्लास्ट ऑफ के 8 मिनट बाद लो अर्थ ऑर्बिट में पहुंचेगा टेरान 1
टेरान 1 को डाटा इकट्ठा करने के उद्देश्य से भेजा जा रहा है. ये ब्लास्टऑफ के 8 मिनट बाद लो अर्थ ऑर्बिट में पहुंचने के लिए तैयार है. इससे यह भी प्रदर्शित होगा कि 3D प्रिंटिंग से बना ये रॉकेट लिफ्टऑफ और अंतरिक्ष उड़ान की मुश्किलों का सामना कर सकता है या नहीं. टेरान 1 अपनी पहली उड़ान में पेलोड नहीं ले जा रहा है, लेकिन रॉकेट 1,250 किलोग्राम तक वजन लेकर पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने में सक्षम होगा.

क्या है खूबियां
इस रॉकेट का 85 प्रतिशत फेब्रिकेटेड 3D टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया है. इसमें कुछ मैटेरियल रिसाइकिल करके तैयार किया गया है और यह कम लागत के मद्देनजर भी सबका ध्यान आकर्षित कर रहा है. रॉकेट का 85 प्रतिशत हिस्सा 3D प्रिंटिंग से बना है. 3D प्रिंटेड टेरान 1 रॉकेट 7.5 फीट के व्यास के साथ 110 फीट लंबा है. रॉकेट के इंजन सहित इसके कुल वजन का 85 प्रतिशत हिस्सा मिश्र धातुओं के साथ 3D प्रिंटेड टेक्नोलॉजी से बना है. लॉन्ग बीच में स्थित रॉकेट बनाने वाली इस कंपनी के अनुसार, यह अब तक की सबसे बड़ी 3D प्रिंटेड वस्तु है. रिलेटिविटी कंपनी का कहना है कि यदि सब कुछ ठीक रहता है और रॉकेट लो अर्थ ऑर्बिट में पहुंच जाता है तो यह अपने पहले प्रयास में मीथेन ईंधन का इस्तेमाल करने वाला ये पहला निजी-वित्त पोषित वाहन होगा. टेरान 1 लिक्विड ऑक्सीजन और लिक्विड नेचुरल गैस का उपयोग करने वाले एऑन इंजन पर आधारित है.

क्या है 3D Print टेक्नोलॉजी
कागज पर प्रिंट करने वाली मशीन से काफी अलग 3D प्रिंटिंग होती है. इस प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी की मदद से किसी भी ऑब्जेक्ट को तैयार किया जा सकता है. इतना नहीं भवन आदि का भी निर्माण किया जा सकता है. 3D Printing टेक्नोलॉजी से आर्ट एंड क्राफ्ट कंस्ट्रक्शन, चिकित्सा संबंधित सामान और फैशन जगत से संबंधित सामान को तैयार किया जा सकता है. 3D प्रिंटिंग की प्रिक्रिया में Computer-Aided-Design फाइल को प्रिंट करना होता है.