
केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए राहत भरी खबर है. अगर काम योजना के मुताबिक रहा तो अगले 4-5 साल में केदारनाथ जाने के दो रास्ते होंगे. जिनमें से एक हर मौसम में खुला रहेगा. केंद्र सरकार ने चौमासी से लिंचोली तक 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. इससे गौरीकुंड से मंदिर तक मौजूदा 16 किमी के ट्रैक की जगह नया रूट सिर्फ 5 किमी का बचेगा.
केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला
2013 और जुलाई 2024 की त्रासदियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि श्रद्धालुओं को सुरक्षित और हर मौसम में चलने योग्य वैकल्पिक रास्ता मिलना चाहिए. इसी के तहत चौमासी से लिंचोली तक 7 किमी लंबी टनल की प्लानिंग की गई है. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने इसके लिए कंसल्टेंट से प्रारंभिक सर्वे भी करवा लिया है.
चौमासी तक कार से, फिर सुरंग, फिर 5 किमी पैदल
यह टनल उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की कालीमठ घाटी के अंतिम गांव चौमासी से शुरू होकर लिंचोली तक जाएगी. चौमासी तक पक्की सड़क बनी हुई है, जहां तक यात्री वाहन से पहुंच सकेंगे. फिर सुरंग के जरिए सीधे लिंचोली और वहां से 5 किमी पैदल चलकर केदारनाथ मंदिर तक पहुंचा जा सकेगा.
नया रास्ता ज्यादा सुरक्षित, लैंडस्लाइड का डर नहीं
पिछले साल सितंबर में एक 5 सदस्यीय टीम ने चौमासी-खाम बुग्याल होते हुए केदारनाथ तक जमीन से सर्वेक्षण किया था. टीम ने बताया कि इस मार्ग पर कहीं भी भूस्खलन जोन नहीं है. रास्ता कठोर चट्टानों और सुरक्षित भूभाग से होकर जाता है. सुरंग के निर्माण में कोई बड़ा भू-संकट नहीं आएगा.
रामबाड़ा वाला टनल प्लान क्यों फेल हुआ?
पहले प्रस्ताव था कि रामबाड़ा से सुरंग बनाई जाए, लेकिन यह इलाका कमजोर पाया गया. इसके बाद चौमासी से लिंचोली तक सुरंग को सुरक्षित और व्यावहारिक विकल्प माना गया. स्व. शैलारानी रावत ने 2022 में पीएम मोदी को इस रूट की मांग पत्र भी सौंपा था.
मौजूदा रास्ता कठिन, नया रूट होगा आरामदायक
अभी गौरीकुंड से केदारनाथ तक 16 किमी लंबा ट्रैक है, जिसमें गौरीकुंड से रामबाड़ा 9 किमी, फिर रामबाड़ा से लिंचोली 2 किमी और लिंचोली से मंदिर 5 किमी की चढ़ाई है. ये पूरा रास्ता मंदाकिनी नदी के किनारे है, जहां बारिश के वक्त भूस्खलन का खतरा बना रहता है. यही कारण है कि भारी बारिश या आपदा की स्थिति में यह मार्ग असुरक्षित हो जाता है और यात्रा पर असर पड़ता है.
नया प्रस्तावित मार्ग ज्यादा सुविधाजनक
नए प्रस्तावित मार्ग के तहत रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग से कुंड के पास चुत्री बैंड होते हुए यात्रा कालीमठ, कोटमा और फिर चौमासी तक पहुंचेगी. चौमासी तक पहले से ही पक्की सड़क बनी हुई है, जहां तक वाहन आसानी से पहुंच सकते हैं. यहां से 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाकर सीधे लिंचोली पहुंचा जाएगा. इसके बाद लिंचोली से केदारनाथ मंदिर तक केवल 5 किमी का पैदल ट्रैक तय करना होगा. इस नए रूट से न केवल 11 किमी की दूरी घटेगी, बल्कि भूस्खलन जैसे खतरों से भी राहत मिलेगी. पूरी यात्रा पहले की तुलना में ज्यादा सुरक्षित, आसान और समय बचाने वाली होगी.