scorecardresearch

Travel: एक बार जरूर करें Golden Temple की ट्रिप, यहां चलती है दुनिया की सबसे बड़ी फ्री Community Kitchen

आज हम आपको बता रहे हैं दुनिया की सबसे बड़ी Community Kitchen यानी Golden Temple में चलने वाले लंगर के बारे में. यहां पर कोई भी किसी भी समय आकर भोजन कर सकता है और इसके बदले उन्हें पैसे देने की भी जरूरत नहीं है.

Golden Temple Golden Temple

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है. यह देश के सबसे प्रसिद्ध सिख गुरुद्वारों में से एक है. स्वर्ण मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और एक बात जो इस जगह को खास बनाती है वह है इसका लंगर है, जो दुनिया की सबसे बड़ी मुफ्त रसोई या सामुदायिक रसोई है.

लंगर सिख धर्म में सामुदायिक रसोई को संदर्भित करता है जहां सभी को उनके धर्म, जाति, लिंग या स्थिति की परवाह किए बिना खाना खिलाया जाता है और वह भी फ्री. स्वर्ण मंदिर में मुफ्त भोजन परोसने की परंपरा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक के समय से चली आ रही है. 

दुनिया की सबसे बड़ी सामुदायिक रसोई 
नानक देव का कहना था कि भूखे को खाना खिलाने से बड़ा कोई काम नहीं है और अमृतसर में स्वर्ण मंदिर सदियों से यह काम बिना रुके करता आ रहा है. हां, स्वर्ण मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी मुफ्त रसोई या सामुदायिक रसोई है जिसे 'लंगर' भी कहा जाता है और यहां हर दिन 50,000 से 100,000 लोगों को गर्म खाना परोसा जाता है. 

सम्बंधित ख़बरें

यहां परोसा जाने वाला मुफ्त भोजन सामुदायिक सेवा और समानता के प्रति सिख प्रतिबद्धता का प्रतीक है. लंगर का आनंद लेने के लिए हर बैकग्राउंड के लोगों का यहां स्वागत है, जो निःस्वार्थ सेवा के सिख सिद्धांतों का एक सुंदर उदाहरण है.
देश और दुनिया भर के सिख धर्म के अनुयायियों में इसके प्रति बहुत श्रद्धा है क्योंकि लंगर प्रथा की शुरुआत सिखों के पहले गुरु गुरु नानक ने 1481 में की थी. हालांकि दुनिया के सभी गुरुद्वारों में मुफ्त लंगर परोसा जाता है, लेकिन लंगर स्वर्ण मंदिर अद्वितीय है.

कभी नहीं बंद होता यहां लंगर 
स्वर्ण मंदिर का लंगर सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे चलता है. यहां प्रतिदिन हजारों और लाखों लोगों को सेवा मिलती है और रसोई को सिख समुदाय और बहुत से नेकदिन लोगों के दान से चलाया जा रहा है.  इस सामुदायिक भोजन में ज्यादातर शाकाहारी व्यंजन शामिल होते हैं, जिनमें दाल, सब्जी, चपाती और खीर शामिल हैं.
 
गुरुद्वारे की रसोई में दो विशाल डाइनिंग हॉल हैं, जिसमें एक समय में 5000 लोग बैठ सकते हैं. लोग फर्श पर बैठते हैं और भोजन वॉलंटियर्स परोसते हैं. कोई केवल कल्पना ही कर सकता है कि हर दिन इतने लोगों की सेवा करना कितना मुश्किल है? लेकिन सेवादार या कार्यकर्ता इसे एक साधारण काम बताते हैं. यहां लगभग 300 स्थायी कर्मचारी हैं और बाकी सभी वॉलंटियर हैं जो मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि भोजन समय पर पकाया और बांटा जाए. 

लंगर के लिए हैं खास मशीनें 
आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि यहां चपाती बनाने की एक मशीन है, जिसे लेबनान के एक भक्त ने दान किया था. इससे सिर्फ एक घंटे में 25,000 रोटियां तैयार हो सकती हैं! आटा छानने, गूंथने और चपाती बनाने की और भी बड़ी-बड़ी मशीनें हैं. एक आम दिन में रसोई में खाना बनाने के लिए करीब 5000 किलो गेहूं, 2000 किलो दाल, 1400 किलो चावल, 700 किलो दूध और 100 गैस सिलेंडर का इस्तेमाल होता है.

इन सब विशेषताओं के कारण स्वर्ण मंदिर की लंगर सेवा  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित और दुनिया भर के संगठनों और व्यक्तियों से मान्यता प्राप्त है.