
अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति बेहद कठिन और पीड़ादायक रही है, यह किसी से छिपा नहीं है. वहां की महिलाएं दशकों से कठोर नियमों और पाबंदियों का सामना करती आ रही हैं. शिक्षा, खेल, राजनीति जैसे क्षेत्रों में उनके लिए कोई स्थान नहीं रहा है. ऐसी ही विषम परिस्थितियों से गुजरने वाली एक महिला हैं रोया करीमी.
रोया की 14 वर्ष की उम्र में शादी कर दी गई और 15 साल की उम्र में वे मां बन गईं. वे आगे बढ़ना चाहती थीं, लेकिन अफगान समाज और हालात इसके अनुकूल नहीं थे. ऐसे में, उन्होंने अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला किया और अपने बेटे के साथ यूरोपीय देश, नॉर्वे चली गईं.
बॉडीबिल्डिंग में बनाया करियर
वहां जाकर रोया की मुलाकात एक अफगानी बॉडीबिल्डिंग कोच से हुई और उन्होंने उनसे शादी कर ली. रोया खुद बॉडीबिल्डिंग में करियर बनाना चाहती थीं, लेकिन अफगान संस्कृति में महिलाओं के लिए इस खेल का चयन करना आसान नहीं होता. उन्होंने बताया कि अफगान समाज में ऐसी कल्पना भी नहीं की जा सकती.
शुरुआत में यह सफर उनके लिए बेहद कठिन था। कई बार उन्होंने हार मानने की सोची, लेकिन पति के साथ और अफगान महिलाओं की प्रेरणा बनने की चाह ने उन्हें फिर से खड़ा कर दिया. उन्होंने दिन-रात मेहनत की और बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में भाग लिया.
रोया बताती हैं कि वह जीतना तो चाहती थीं, लेकिन उनके लिए प्रतियोगिता में भाग लेना ही एक बड़ी उपलब्धि थ. जब वे अपने अफगानिस्तान के दिनों को याद करती हैं, तो उन्हें यह यकीन करना मुश्किल होता है कि एक ऐसी लड़की, जिसे कभी स्कूल तक नहीं जाने दिया गया, वह आज एक मंच पर खड़ी है.
अफगानी लड़कियों की करेंगी मदद
रोया कहती हैं, "अगर मेरा बचपन संघर्षों से भरे अफगानिस्तान में न बीता होता, तो शायद मैं यहां तक न पहुंच पाती. अब अगर कोई अफगानी लड़की इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहे, तो मैं उसकी पूरी मदद करूंगी."
आज रोया करीमी एक चैंपियन हैं और उन्हें सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि वे उन अफगान महिलाओं के लिए एक उदाहरण बन पाईं, जो अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं. रोया अब यह संकल्प ले चुकी हैं कि जो भी अफगान महिलाएं आगे बढ़ना चाहें, वे उनकी पूरी मदद करेंगी और उन्हें उनके मौलिक अधिकार दिलाने की लड़ाई में साथ खड़ी रहेंगी.