
जहां रूस-यूक्रेन युद्ध में सेनाएं एक-दूसरे से लड़ रही हैं, वहीं दोनों देशों के नागरिकों को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है. युद्ध और अशांति के कारण यूक्रेन में अब तक 28 लाख से अधिक लोग अपना देश छोड़ चुके हैं. लेकिन केवल यही नहीं बल्कि रूसी भी अपने घरों में नहीं हैं. युद्ध की वजह से रूस के करीब दो लाख लोगों ने भी अपना देश छोड़ दिया है. ये दावा एक रूसी अर्थशास्त्री, कॉन्स्टेंटिन सोनिन ने किया है.
रूसी क्यों छोड़ रहे हैं अपना देश?
दरअसल, इसका कारण है नौकरियां. इस युद्ध ने कॉरपोरेट इंडस्ट्री पर भी जमकर असर डाला है. अब तक लगभग 400 मल्टीनेशनल कंपनियां रूस को छोड़ चुकी हैं, जिससे हजारों कर्मचारियों का भाग्य अब लटक चुका है. बता दें, एडिडास, अल्फाबेट, अमेज़ॅन, अमेरिकन एक्सप्रेस, एप्पल, कोका-कोला, मैकडॉनल्ड्स और माइक्रोसॉफ्ट उन कॉर्पोरेट दिग्गजों में से हैं, जिन्होंने रूस में अपने कई ऑपरेशन्स को बंद कर दिया है.
येल के चीफ एग्जीक्यूटिव लीडरशिप इंस्टीट्यूट के मुताबिक, "जब से यूक्रेन पर पुतिन ने आक्रमण किया है तबसे 380 कंपनियों ने रूस से अपनी वापसी की घोषणा कर दी है. हालांकि, कुछ कंपनियों ने अभी भी रूस में काम करना जारी रखा हुआ है."
रूस पर लग चुके आज तक के सबसे ज्यादा प्रतिबंध
रूस पर अब तक कुल 6,400 प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं. इसके साथ ये दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसपर सबसे ज्यादा प्रतिबंध लगाए गए हैं. युद्ध शुरू होने के बाद से, दुनिया भर के कई देशों ने रूस पर 3,646 प्रतिबंध लग चुके हैं. इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने 22 फरवरी, 2022 से 15 मार्च तक 678 प्रतिबंध लगाए हैं.
रूस में 102 साल का सबसे बड़ा पलायन
गौरतलब है कि रूस के नागरिकों को दूसरे देश भी नौकरियां देने से कतरा रहे हैं. यूरोपीय देश उन्हें शरण नहीं दे रहे हैं. रूस से भागकर लोग तुर्की, आर्मेनिया, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान जैसे देशों में जा रहे हैं.
बता दिन, इसे 102 सालों का सबसे बड़ा पलायन बताया जा रहा है. इससे पहले साल 1920 में बोल्शेविक क्रांति के समय में करीब 1 लाख लोगों ने रूस से पलायन किया था.