
चीन में बन रहा 'भविष्य का शहर' शियोंगान (City of Future Xiongan) जैसे-जैसे उद्घाटन की ओर बढ़ रहा है, इसपर चर्चा भी तेज़ हो रही है. यह प्रोजेक्ट चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दिल के बहुत करीब है, इसलिए इसके निर्माण में 120 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च भी हो चुके हैं. बीजिंग से करीब 100 किलोमीटर दूर मौजूद शियोंगान आधुनिक शहरीकरण का प्रतीक बन रहा है.
इस छोटे से शहर को इंसानों की सहूलत को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है. यहां उन्हें कहीं जाने के लिए ट्रैफिक में नहीं फंसना होगा, बल्कि घर-दफ्तर से लेकर स्कूल-अस्पताल तक सब कुछ सिर्फ 15 मिनट की दूरी पर ही होगा. लेकिन इन्हीं कारणों से यह शहर चिंता का विषय भी बनता जा रहा है.
शियोंगान की खासियत
शियोंगान को एक स्मार्ट सिटी के तौर पर डिज़ाइन किया गया है. यह पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढांचे, भूमिगत लॉजिस्टिक्स सिस्टम, और सिटी ब्रेन डेटा सेंटर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से सजा हुआ है. यह शहर 650 वर्ग मील के क्षेत्र में फैला है और इसमें करीब 30 लाख लोगों की आबादी बसाने की योजना है.
शियोंगान में मेरिट-बेस्ड रेजिडेंसी सिस्टम लागू किया जा रहा है, जिसके तहत उच्च शिक्षा, तकनीकी कौशल और अधिक टैक्स चुकाने वाले लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी. यह सिस्टम शहर को तकनीक और इनोवेशन का केंद्र बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो बीजिंग जैसे बड़े शहरों पर जनसंख्या के दबाव को कम करने में भी मदद करेगा.
जब इस शहर की परिकल्पना की गई थी तब दावा किया गया था कि यहां रहने वाले लोगों को शहर की दौड़भाग, घनी आबादी, ट्रैफिक और प्रदूषण से छुटकारा मिलेगा. वह शांत माहौल में रह सकेंगे. साथ ही शहर में ऑटोमैटिक परिवहन, ग्रीन एनर्जी और डिजिटल गवर्नेंस सिस्टम जैसे फीचर्स लागू करने की योजना है. इसी वजह से इसे फ्यूचर सिटी कहा जा रहा है.
खर्च हो चुकी मोटी रकम
शियोंगान परियोजना पर 2017 से काम शुरू हुआ और अब तक इस पर 835 अरब युआन (लगभग 120 अरब डॉलर) खर्च किए जा चुके हैं. यह राशि शहर के बुनियादी ढांचे, जैसे सड़कें, रेलवे, और डिजिटल नेटवर्क, के विकास पर खर्च की गई है. यह परियोजना इतनी विशाल है कि इसे पूरा होने में अभी कई वर्ष लग सकते हैं. लागत और पैमाने की वजह से यह दुनिया के सबसे महंगे मेगा-प्रोजेक्ट्स में से एक है.
चिंता का विषय क्यों बना यह ड्रीम प्रोजेक्ट
शियोंगान को कई कारणों से चिंताजनक माना जा रहा है. पहला, इसका मेरिट-बेस्ड रेजिडेंसी सिस्टम सामाजिक असमानता को बढ़ा सकता है. शिक्षा और टैक्स योगदान पर आधारित यह सिस्टम ग्रामीण और कम शिक्षित आबादी को हाशिए पर धकेल सकता है. ऐसा चीन के हुको सिस्टम ने ऐतिहासिक रूप से पहले भी किया है.
दूसरा, इसकी विशाल लागत और संसाधनों का उपयोग आर्थिक जोखिम पैदा करता है, खासकर जब चीन की अर्थव्यवस्था पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रही है. कुछ आलोचक इसे शी जिनपिंग की शक्ति को मजबूत करने और निगरानी तंत्र को बढ़ाने का माध्यम भी मानते हैं. जब स्मार्ट सिटी की डिजिटल तकनीकें नागरिकों की गतिविधियों पर नजर रखेंगी तो यह शहर जॉर्ज ऑर्वेल की नॉवेल 1984 की दुनिया जैसा भी बन सकता है.