
ऑपरेशन सिंदूर के संबंध में भारत का सात डेलिगेशन विदेश भेजने का फैसला सामने आते ही पाकिस्तान ने भारत की देखादेखी एक डेलिगेशन विदेश भेजने का फैसला किया है. पाकिस्तान ने पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) के चेयरमैन और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-ज़रदारी की अगुवाई में 'अंतरराष्ट्रीय शांति मिशन' (International Peace Mission) लॉन्च करने का फैसला किया है.
भारत पहले ही कर चुका ऐलान
भारत के संसदीय मामलों के मंत्रालय ने शनिवार को घोषणा की थी कि भारत के सात ऑल-पार्टी डेलिगेशन ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद पर देश के रुख के बारे में प्रमुख विदेशी सरकारों को जानकारी देने के लिए इन देशों का दौरा करेंगे. भारत ने ऐसी सात टीमों के लिए जिन 59 सांसदों को चुना है उनमें सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ-साथ विपक्षी नाम भी शामिल हैं.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर जहां अमेरिका, पनामा, गयाना, ब्राजील और कोलंबिया के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे, वहीं एनसीपी सांसद सुप्रिया अपने डेलिगेशन के साथ सुले मिस्र, कतर, इथियोपिया और दक्षिण अफ्रीका का दौरा करेंगी. यह दिखाता है कि इस समय आतंकवाद के खिलाफ और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पूरा देश एकजुट है. इस टीम का उद्देश्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को भारत की स्थिति से अवगत कराना है. लेकिन पाकिस्तान ने जो 'शांति मिशन' शुरू किया है, उसका मकसद क्या है?
क्या है पाक का नैरेटिव?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बिलावल भुट्टो-जरदारी को पाकिस्तान का पक्ष रखने के लिए नियुक्त किया. बिलावल ने एक्स पोस्ट के ज़रिए इसकी पुष्टि की. उन्होंने लिखा, "आज सुबह प्रधानमंत्री [शहबाज शरीफ] ने मुझसे संपर्क किया, जिन्होंने अनुरोध किया कि मैं अंतरराष्ट्रीय मंच पर शांति के लिए पाकिस्तान का पक्ष रखने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करूं. मुझे यह जिम्मेदारी स्वीकार करने और इन चुनौतीपूर्ण समय में पाकिस्तान की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध रहने का सम्मान मिला है."
द न्यूज इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने बिलावल के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है. इसमें पूर्व मंत्री खुर्रम दस्तगीर खान और हिना रब्बानी खार के साथ-साथ पूर्व विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी भी शामिल हैं.
पाकिस्तानी पक्ष का दावा है कि बिलावल का प्रतिनिधिमंडल क्षेत्रीय शांति की वकालत करेगा. इस्लामाबाद के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बयान को नियंत्रित करने और भारत का मुकाबला करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'भारतीय प्रोपेगेंडा को उजागर करने के लिए' यह डेलिगेशन विदेश भेज रहा है.
आसान शब्दों में कहें तो यह भारत के डेलिगेशन्स भेजने के फैसले का एक रिएक्शन है. आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल में फेडरल मंत्री डॉ. मुसादिक मलिक, शेरी रहमान और सीनेटर फैसल सब्ज़वारी, पूर्व विदेश सचिव तहमीना जंजुआ और अमेरिका और यूरोपीय संघ में पूर्व राजदूत जलील अब्बास जिलानी भी शामिल होंगे. यह टीम लंदन, वाशिंगटन, पेरिस और ब्रुसेल्स सहित प्रमुख राजधानियों का दौरा करेगी.