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Israel Education Model: रियल लाइफ प्रोजेक्ट्स से लेकर पढ़ाई में तकनीक के उपयोग तक, इसराइल के एजुकेशन सिस्टम से ये चीजें सीख सकता है भारत

भारत ने इसराइल से खेती के क्षेत्र में बहुत कुछ सीखा है. अब समय है कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में भी इसराइल से कुछ गुर सीख ले.

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साल 1948 में इसराइल एक देश बना. उसके बाद से इसराइल ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसा मॉडल बनाया है जो उस देश को आगे ले जाने के काम आए. आइए जानते हैं इसराइल का शिक्षा मॉडल क्यों खास है और भारत उससे क्या सीख सकता है. 

कैसे हैं इसराइल के टीचिंग-मेथड?
इज़राइल में शिक्षण विधियां छात्रों को स्कूल और जीवन से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. इनका उद्देश्य सीखने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देना है. ये विधियां शिक्षा प्रणाली का एक प्रमुख पहलू हैं. लेकिन ये विधियां क्या हैं? 

रियल लाइफ प्रोजेक्ट्स : इसराइल में प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग (Project Based Learning) करवाई जाती है. इस विधि में स्टूडेंट्स को असली दुनिया के प्रोजेक्ट पूरे करने होते हैं. इससे विद्यार्थियों में क्रिटिकल थिंकिंग, सहयोग और संचार को बढ़ावा मिलता है. 

अलग स्टूडेंट्, अलग इंस्ट्रक्शन : इसराइल में शिक्षक छात्रों की अलग-अलग सीखने की शैलियों और क्षमताओं को पूरा करने के लिए इस मेथड को अपनाते हैं. इसका मतलब है कि सभी छात्रों को एक ही बात समझाने के लिए अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल करना पड़ सकता है. 

'साथी हाथ बढ़ाना' वाली तकनीक : पढ़ाई के इस मेथड में छात्रों को एक सामान्य टारगेट प्राप्त करने के लिए ग्रुप्स में काम करना होता है. इससे छात्रों में सामाजिक कौशल विकसित होता है. वे एक कम्युनिटी में काम करना सीखते हैं. टीम वर्क की भावना को भी बढ़ावा मिलता है. 

इन्क्वारी-आधारित शिक्षण : इसराइली शिक्षण की एक खास बात यह है कि यहां छात्रों को जिज्ञासु होने और सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. यह विधि छात्रों को सीखने की प्रक्रिया के केंद्र में रखती है. इससे उन्हें खुद ही नई चीज़ों की खोज करने और समझने का मौका मिलता है. 

पढ़ाई में शामिल टेक्नोलॉजी : कक्षा में टेक्नोलॉजी को शामिल करना इसराइली शिक्षण का एक और अहम पहलू है. यहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डेटा एनालिसिस और डिज़ाइन थिंकिंग (Design Thinking) जैसी तकनीकों की मदद से पढ़ाई को आसान बनाया जाता है.

भारत के लिए क्या सीख?
इसराइल को अपना दोस्त मानने वाला भारत शिक्षण के मामले में उससे बहुत कुछ सीख सकता है. भारत टेक्नोलॉजी के ज़रिए अपनी शिक्षण व्यवस्था को बदल सकता है. स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल शिक्षा के ज़रिए असली ज़िन्दगी के लिए तैयार कर सकता है और पीछे छूट जाने वाले विद्यार्थियों को आगे लाने के लिए नीतिगत कदम उठा सकता है. दो साल पहले भारत के 24 शिक्षाविदों की एक टीम शिक्षण के गुर सीखने के लिए इसराइल गई थी.

भारत में प्रगतिशील स्कूलों के प्रवर्तकों के एक कॉलेजियम फिक्की एराइज़ (Alliance for Re-imagining School Education) ने इस यात्रा की व्यवस्था की थी. इस दौरे पर प्रतिनिधिमंडल ने इसरायल के कई संस्थानों का दौरा किया. उन्होंने शिक्षा मंत्रालय, इसरायल निर्यात और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग संस्थान, तासीदा, पेरेज सेंटर फॉर पीस एंड इनोवेशन, स्टार्ट-अप नेशन सेंट्रल, MINDCET और शिमोन पेरेज हाई स्कूल सहित कई जगहों का दौरा किया था.