
क्या आपने सुना? ईरान ने दावा किया है कि उसने इजरायल पर हाइपरसोनिक मिसाइलें दागी हैं! ये हथियार इतने तेज और खतरनाक हैं कि दुनिया की सबसे मजबूत मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी इन्हें रोकने में नाकाम हो सकती हैं. लेकिन क्या वाकई में ईरान के पास ऐसी ताकत है?
हाइपरसोनिक मिसाइलें वो हथियार हैं जो ध्वनि की गति से पांच गुना तेज, यानी मैक 5 से भी ज्यादा तेजी से उड़ान भरते हैं. ये मिसाइलें इतनी तेज होती हैं कि पलक झपकते ही दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकती हैं. लेकिन रुकिए, सिर्फ गति ही इनका राज नहीं है! इन मिसाइलों की असली ताकत है इनका नेविगेशन सिस्टम, जो इन्हें हवा में ही रास्ता बदलने की ताकत देता है. यानी, ये मिसाइलें न सिर्फ तेज हैं, बल्कि इतनी चालाक भी कि इन्हें रोकना लगभग नामुमकिन हो जाता है.
पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलें ऊंची उड़ान भरती हैं और उनका रास्ता आसानी से भांपा जा सकता है. लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइलें कम ऊंचाई पर उड़ती हैं, पहाड़ों और जमीन के साथ-साथ चलती हैं, जिससे रडार के लिए इन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है. एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, जैक वाटलिंग, जो रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ हैं कहते हैं, “हाइपरसोनिक मिसाइलें रडार की पहुंच से नीचे उड़ती हैं, जिससे इन्हें रोकने का समय बेहद कम होता है.” यानी, जब तक दुश्मन को इनका पता चले, तब तक ये अपना काम कर चुकी होती हैं!
ईरान का दावा सच है या झूठ?
ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड ने हाल ही में दावा किया कि उसने इजरायल पर फतह-1 नाम की हाइपरसोनिक मिसाइलें दागी हैं. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह दावा संदिग्ध है. यहोशुआ कालिस्की, इजरायल के थिंक टैंक INSS के विशेषज्ञ, बताते हैं कि ईरान की ज्यादातर मिसाइलें भले ही हाइपरसोनिक गति से चलती हों, लेकिन उनमें वह चालाकी (मैन्यूवरेबिलिटी) नहीं है, जो असली हाइपरसोनिक मिसाइलों की पहचान है.
ईरान ने अब तक इजरायल पर 400 से ज्यादा मिसाइलें दागी हैं, जिनमें से 40 ने ही नुकसान पहुंचाया. इजरायल का दावा है कि उसका मिसाइल डिफेंस सिस्टम, जिसमें अमेरिका का पैट्रियट सिस्टम भी शामिल है, 95% से ज्यादा मिसाइलों को रोकने में कामयाब रहा है. लेकिन ईरान के पास खोरमशहर और फतह-2 जैसी मिसाइलें हैं, जो ज्यादा चालाक और तेज हैं. अगर इन्हें इस्तेमाल किया गया, तो इजरायल के लिए खतरा और बढ़ सकता है. लेकिन सवाल यह है: क्या ईरान के पास वाकई ऐसी तकनीक है, या यह सिर्फ प्रचार का हथियार है?
दुनिया में कौन-कौन बना रहा है हाइपरसोनिक मिसाइलें?
हाइपरसोनिक मिसाइलों की दौड़ में कई देश शामिल हैं. अमेरिका और चीन इस रेस में सबसे आगे हैं. अमेरिका अपनी हाइपरसोनिक मिसाइलों को स्टील्थ डिस्ट्रॉयर पर तैनात करने की योजना बना रहा है, जबकि चीन ने 2017 में अपनी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था. अमेरिकी
रक्षा विभाग का कहना है कि चीन की ये मिसाइलें हवाई, अलास्का और यहां तक कि अमेरिकी mainland को भी निशाना बना सकती हैं.
रूस ने भी यूक्रेन युद्ध में ओरेश्निक और किंझाल जैसी मिसाइलों को हाइपरसोनिक बताया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ये असली हाइपरसोनिक
मिसाइलों की तरह चालाक नहीं हैं. यूक्रेन ने अमेरिकी पैट्रियट सिस्टम की मदद से रूस की किंझाल मिसाइलों को रोक लिया है. इसके अलावा, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, यूके, फ्रांस, जर्मनी, जापान, और दक्षिण कोरिया भी इस तकनीक पर काम कर रहे हैं.
हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर में हुए तनाव के दौरान पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारत के S-400 डिफेंस सिस्टम को हाइपरसोनिक मिसाइल से नष्ट कर दिया. लेकिन इस दावे की सच्चाई भी संदिग्ध है.
क्यों है हाइपरसोनिक मिसाइलों का डर?
ये मिसाइलें सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि युद्ध का पूरा गणित बदल सकती हैं. इनकी गति और चालाकी के कारण इन्हें रोकना बेहद मुश्किल है. वाटलिंग के मुताबिक, इन मिसाइलों को बनाने के लिए ऐसी तकनीक चाहिए, जो अत्यधिक तापमान और गति को सहन कर सके. ज्यादातर देशों के पास ऐसी तकनीक नहीं है.
इजरायल का मिसाइल डिफेंस सिस्टम दुनिया के सबसे मजबूत सिस्टमों में से एक है, लेकिन अगर ईरान वाकई में चालाक हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल करता है, तो यह इजरायल के लिए एक नई चुनौती होगी. दूसरी ओर, अमेरिका और उसके सहयोगी भी इस दौड़ में पीछे नहीं हैं. यूरोपीय संघ ने रूस के खतरे को देखते हुए हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोकने वाले इंटरसेप्टर सिस्टम पर काम शुरू कर दिया है.
क्या होगा अगर हाइपरसोनिक मिसाइलें युद्ध में उतर गईं?
अगर हाइपरसोनिक मिसाइलें बड़े पैमाने पर युद्ध में इस्तेमाल होने लगीं, तो यह वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा होगा. ये मिसाइलें न सिर्फ युद्ध के मैदान को बदल देंगी, बल्कि देशों के बीच हथियारों की होड़ को और तेज कर देंगी. 2022 की स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, हाइपरसोनिक मिसाइलों का प्रचार अक्सर अतिशयोक्तिपूर्ण होता है, लेकिन यह डर पैदा करता है कि कोई देश इस तकनीक में पीछे न रह जाए.
ईरान का हाइपरसोनिक मिसाइलों का दावा भले ही अभी संदिग्ध हो, लेकिन यह साफ है कि ये हथियार युद्ध की दिशा बदल सकते हैं. इजरायल का मिसाइल डिफेंस सिस्टम अभी तक मजबूत साबित हुआ है, लेकिन अगर ईरान अपनी तकनीक को और बेहतर करता है, तो यह संघर्ष और खतरनाक हो सकता है. दूसरी ओर, अमेरिका, चीन, और रूस जैसे देश इस दौड़ में पहले से ही आगे हैं.