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Iran Hijab Row: 43 साल पहले ईरान में हुई थी इस्लामी क्रांति, अयातुल्लाह खोमैनी ने महिलाओं पर थोपे थे कई फैसले

ईरान में महिलाओं ने एंटी हिजाब क्रांति की शुरुआत कर दी है. हिजाब को लेकर 22 साल की महसा अमीनी की मौत के बाद महिलाओं का सब्र का बांध टूट गया. इसके विरोध में महिलाएं तेहरान से लेकर ईरान के कई शहरों में सड़कों पर उतर आईं. जानिए उस इस्लामी क्रांति के बारे में..जिसके तहत महिलाओं पर कई तरह के फैसले थोपे गए थे.

Iran Hijab Row Iran Hijab Row
हाइलाइट्स
  • ईरान में 1979 में इस्लामिक क्रांति हुई

  • खुमैनी के सत्ता में आने के बाद ईरान में महिलाओं के अधिकारों को लेकर कई बदलाव हुए

ईरान की महिलाओं ने ये साफ कर दिया है कि वो हिजाब के मुद्दे पर ना तो झुकेंगी और ना ही रुकेंगी. यहां तक की महिलाएं अपने बाल काट कर विरोध कर रही हैं. ईरान की महिलाओं ने दो टूक कह दिया है कि हिजाब की जबरदस्ती अब नहीं चलेगी.

जानिए, पूरा मामला क्या है?

दरअसल, महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान की महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा है. उन्हें ना तो पुलिस की मार डरा पा रही है और ना ही पुलिस की गोली उन्हें पीछे धकेल पा रही है. महसा अमीनी की मौत के बाद ईरानी महिलाओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

बता दें कि 22 साल की अमीनी का कसूर सिर्फ इतना था कि उसके बाल हिजाब से बाहर आ गए थे. इसके बाद तो हिजाब का सख्ती से पालन करवाने वाली पुलिस ने उसे वैन से खींच लिया और इस बेरहमी से पीटा कि उसकी हालत बिगड़ गई और पुलिस कस्टडी में ही मौत हो गई. महसा की मौत से महिलाओं का गुस्सा इस कदर भड़का कि ईरान की सरकार और पुलिस के पसीने छूट गए. जहां एक तरफ महिलाएं बाल काट कर सोशल मीडिया में पोस्ट करने लगीं और हिजाब जलाने लगीं. वहीं दूसरी तरफ महिलाएं बगैर हिजाब के सड़कों पर उतरकर सरकार और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगीं. तानाशाह मुर्दाबाद के नारे लगने लगे. यहां तक कि सर्वोच्च नेता के पोस्टरों को भी निशाना बनाया जाने लगा.

इस्लामिक क्रांति से पहले महिलाओं पर नहीं थी कोई रोकटोक

1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले ईरान आज से बिल्कुल अलग था. जहां महिलाओं को किसी यूरोपीय देश जितनी ही आजादी थी. बता दें कि  इस्लामिक क्रांति से पहले ईरान में पश्चिमी सभ्यता का काफी बोलबाला था. ईरान के लोग अपनी आजादी का भरपूर आनंद लेते थे. पहनावे और खानपान को लेकर कोई रोकटोक नहीं थी. कला, संगीत, फिल्म और साहित्य को लेकर लोग काफी जागरूक थे. महिलाओं को खुली आजादी थी. चाहे पहनावा हो या फिर खानपान...महिलाओं पर किसी भी तरह की कोई रोकटोक नहीं थी. 70 के दशक में ईरान इतना आधुनिक था कि उसे देखकर ये नहीं कहा जा सकता था कि ईरान एक इस्लामिक देश है.

अयातुल्ला खुमैनी के सत्ता में आते ही बदल गया ईरान

एक समय आया जब ईरान में सत्ता बदली और ईरान भी बदल गया. आखिरकार शाह मोहम्मद के निजाम का खात्मा हो गया. अयातुल्लाह खोमैनी की अगुवाई में ईरान में 1979 में इस्लामिक क्रांति हुई. शाह मोहम्मद रेजा पहलवी को सत्ता से बेदखल कर दिया गया. हालात ये थे कि शाह मोहम्मद को सत्ता ही नहीं, बल्कि देश छोड़ने पर भी मजबूर होना पड़ा.

ईरान में हुए कई बदलाव-

अयातुल्लाह खोमैनी के सत्ता में आने के बाद देश के कई कानून बदले गए. इसका सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर हुआ. चलिए आपको बताते हैं खोमैनी के सत्ता में आने के बाद ईरान में महिलाओं के लिए क्या कुछ बदल गया.

लड़कियों की शादी की उम्र घटाई गई-

  • साल 1979 में लड़कियों के लिए शादी की उम्र 18 साल थी. लेकिन इस्लामिक क्रांति के बाद लड़कियों की शादी की उम्र 13 साल कर दी गई.  फिर 1982 में लड़कियों की शादी की उम्र 13 साल से भी घटाकर 9 साल कर दी गई. हालांकि साल 2002 में एक बार फिर लड़कियों के लिए शादी की उम्र 13 साल कर दी गई.

सिर ढंकने का कानून-

  • इस्लामिक क्रांति के दौरान धार्मिक नेता खोमैनी महिलाओं के लिए सिर ढंकने की बात कहने लगे थे. सत्ता हासिल करने के बाद इसको कानूनी रंग में ढाल दिया गया. साल 1983 में ईरान की संसद में तय हुआ कि जो महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर सिर ढंक कर नहीं रखेंगी. उनको 74 कोड़ों की मार पड़ेगी. इस कानून को साल 1995 में और भी कड़ा कर दिया गया. सिर नहीं ढंकने पर महिलाओं को 60 दिन की जेल की सजा का भी प्रावधान किया गया.

कोट पहनना अनिवार्य किया गया- 

  • महिलाओं को सार्वजनिक रूप से बाहर होने पर शरीर को कवर करने के लिए एक कोट पहनना भी अनिवार्य कर दिया गया. जो ड्रेस कोड का पालन नहीं करते हैं, उन्हें भारी जुर्माने के साथ 2 महीने की जेल की सजा मिलती है.

महिलाएं देश नहीं छोड़ सकती-

  • ईरान में विवाहित महिलाएं अकेले देश को नहीं छोड़ सकती हैं या यहां तक कि अपने पति की लिखित अनुमति के बिना वो पासपोर्ट भी प्राप्त नहीं कर सकती हैं, जबकि एकल महिलाओं को अपने पिता की स्वीकृति की आवश्यकता है.

फैमिली प्रोटेक्शन कानून को हटाया-

  • खुमैनी के सत्ता में आने के बाद, उन्होंने ईरान से फैमिली प्रोटेक्शन कानून को सस्पेंड कर दिया. जिसके तहत ईरानी महिलाओं को काफी अधिकार प्रदान किए गये थे.

मर्द से हाथ नहीं मिला सकती-

  • ईरान में कोई लड़की सार्वजनिक तौर पर किसी मर्द से हाथ नहीं मिला सकती है. यहां तक कि लड़कियां पुरुष खेलों को देखने स्टेडियम भी नहीं जा सकती हैं.

बिना जज की इजाजत के बिना महिलाओं को तलाक नहीं मिल सकता- 

  • ईरान में महिलाओं की बदहाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बिना जज की इजाजत के किसी महिला को तलाक तक नहीं मिल सकता. वहीं पुरुषों के साथ ऐसा नहीं है. वो सिर्फ तलाक बोलकर ही किसी महिला को तलाक दे सकते हैं. हालांकि चार दशक पहले ईरान की आबोहवा इतनी खराब नहीं थी.

2021 में इब्राहिम रईसी के राष्ट्रपति बनने के बाद हिजाब कानून को लेकर सख्ती और बढ़ा दी गई. सरकार ने हिजाब कानून के पालन के लिए अलग से दो संगठन बनाए. और इनका काम 'खराब हिजाब' वाली महिलाओं पर एक्शन लेने का था. 'खराब हिजाब' यानी रंगीन हिजाब या कम लंबाई वाला हिजाब.जिस ईरान में साल 1930 में हिजाब पहनने पर पाबंदी थी. उस ईरान में आज महिलाओं को हिजाब न पहनने पर जेल भेजा दिया जाता है.

विरोध का दायरा बढ़ता जा रहा

2019 के अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, सख्त हिजाब कानून का विरोध करने वाली महिला कार्यकर्ताओं को अदालतों में कठोर सजा सुनाई गई है. ऐसे मामलों में ही एक मामला मानवाधिकार अटॉर्नी नसरीन सोतौडेह का भी था, जिन्हें 2018 में हिजाब कानून का उल्लंघन करने पर 38 साल की जेल की सजा सुनाई गई है.

बहरहाल सरकार की इस सख्ती का ईरानी महिलाओं ने जमकर विरोध किया. और अब माहसा अमीनी की मौत से माहौल और गर्म हो गया है. एक ओर ईरानी पुलिस विरोध करने वालों पर गोलियां चला रही है, तो वहीं दूसरी ओर विरोध का दायरा बढ़ता ही जा रहा है.