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North Korea Lifestyle: बाइबल, इंटरनेट से लेकर प्यार शब्द, जींस और हॉटडॉग तक बैन! उत्तर कोरिया के इन डरावने नियमों के बारे में जान लें

अगर आप दक्षिण कोरिया में प्रचलित शब्द ‘ओप्पा’ (जो वहां बॉयफ्रेंड या बड़े भाई के लिए इस्तेमाल होता है) टाइप करते हैं, तो फोन इसे तुरंत ‘कॉमरेड’ में बदल देता है. कीबोर्ड पर एक चेतावनी भी दिखती है कि इस शब्द का इस्तेमाल सिर्फ भाई-बहनों के लिए किया जा सकता है. यह सेंसरशिप इतनी सख्त है कि दक्षिण कोरियाई स्लैंग, भाषा या संस्कृति से जुड़ा कोई भी शब्द इस्तेमाल करने की मनाही है.

North Korea censorship (Representative Image/GettyImages) North Korea censorship (Representative Image/GettyImages)

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ऐसा देश जहां हर कदम पर नजर रखी जाती हो, हर शब्द पर पाबंदी हो, और यहां तक कि आपके फोन की स्क्रीन भी आपकी जासूसी करे, वहां का जीवन कैसा होगा? जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तर कोरिया की, जहां सुप्रीम लीडर किम जोंग उन का शासन इतना सख्त है कि वहां के लोग न तो आजादी से सांस ले सकते हैं, न ही अपनी मर्जी से कुछ बोल सकते हैं.

हाल ही में एक तस्करी किए गए स्मार्टफोन ने दुनिया के सामने उत्तर कोरिया की तानाशाही की ऐसी सच्चाई उजागर की है, जो रोंगटे खड़े कर देती है. बीबीसी की एक खोजी रिपोर्ट ने इस फोन के जरिए किम जोंग उन की सरकार की डरावनी निगरानी और सेंसरशिप की रणनीतियों को दुनिया के सामने ला दिया. 

स्मार्टफोन जो बन गया जासूस
पिछले साल उत्तर कोरिया से तस्करी कर बाहर लाया गया एक स्मार्टफोन वहां की सख्त निगरानी का जीता-जागता सबूत बन गया. बाहर से देखने में यह फोन बिल्कुल वैसा ही लगता है जैसा आप और हम इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसके फीचर्स ने दुनिया को हैरान कर दिया. इस फोन में हर पांच मिनट में अपने आप स्क्रीनशॉट लेने की सुविधा है, जो एक गुप्त फोल्डर में स्टोर होते हैं.

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यह फोल्डर यूजर के लिए पूरी तरह से बंद है और केवल उत्तर कोरिया की सरकार के अधिकारी ही इसे एक्सेस कर सकते हैं. यानी, आप जो भी टाइप करते हैं, जो भी देखते हैं, सब कुछ सरकार की नजरों में है. यह कोई साइंस-फिक्शन फिल्म नहीं, बल्कि उत्तर कोरिया की हकीकत है

शब्दों पर सेंसरशिप
उत्तर कोरिया में स्मार्टफोन सिर्फ संचार का साधन नहीं, बल्कि सरकार का एक हथियार है, जो लोगों के दिमाग को नियंत्रित करता है. बीबीसी की जांच में पता चला कि अगर आप इस फोन में ‘साउथ कोरिया’ टाइप करते हैं, तो यह अपने आप ‘पपेट स्टेट’ में बदल जाता है. यह शब्द उत्तर कोरिया की प्रचार मशीनरी का हिस्सा है, जो दक्षिण कोरिया को अमेरिका का कठपुतली देश बताती है.

(फोटो-गेटी इमेज)
(फोटो-गेटी इमेज)

इतना ही नहीं, अगर आप दक्षिण कोरिया में प्रचलित शब्द ‘ओप्पा’ (जो वहां बॉयफ्रेंड या बड़े भाई के लिए इस्तेमाल होता है) टाइप करते हैं, तो फोन इसे तुरंत ‘कॉमरेड’ में बदल देता है. कीबोर्ड पर एक चेतावनी भी दिखती है कि इस शब्द का इस्तेमाल सिर्फ भाई-बहनों के लिए किया जा सकता है. यह सेंसरशिप इतनी सख्त है कि दक्षिण कोरियाई स्लैंग, भाषा या संस्कृति से जुड़ा कोई भी शब्द इस्तेमाल करने की मनाही है.

उत्तर कोरिया में क्या-क्या है प्रतिबंधित?
उत्तर कोरिया में सेंसरशिप और प्रतिबंधों की लंबी फेहरिस्त है, जो वहां के लोगों की जिंदगी को एक जेल की तरह बना देती है. किम जोंग उन का शासन यह सुनिश्चित करता है कि देशवासियों को बाहरी दुनिया की कोई जानकारी न मिले, खासकर दक्षिण कोरिया और पश्चिमी देशों की. आइए, कुछ ऐसी चीजों पर नजर डालते हैं, जो उत्तर कोरिया में पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं:

  1. दक्षिण कोरियाई संस्कृति: के-पॉप (K-Pop) और के-ड्रामा (K-Drama) उत्तर कोरिया में सख्ती से प्रतिबंधित हैं. इनके लिए सजा इतनी सख्त है कि पिछले साल 30 किशोरों को सिर्फ दक्षिण कोरियाई ड्रामा देखने के लिए मौत की सजा दी गई थी.
  2. पश्चिमी फैशन: जींस, लेदर जैकेट्स, और डिजाइनर जूतों पर पूरी तरह से पाबंदी है. यहां तक कि दक्षिण कोरियाई स्टाइल में बाल कटवाने या कपड़े पहनने पर भी सजा हो सकती है.
  3. हॉटडॉग और स्पाइसी स्टू: हाल ही में किम जोंग उन ने हॉटडॉग और बुदाए-जिगे (एक कोरियाई-अमेरिकी स्टू) को प्रतिबंधित कर दिया, क्योंकि इन्हें ‘पश्चिमी संस्कृति’ का प्रतीक माना गया. इनका सेवन करना अब देशद्रोह के समान है और इसके लिए श्रम शिविरों में सजा दी जा सकती है.
  4. इंटरनेट और सोशल मीडिया: उत्तर कोरिया में आम जनता के लिए इंटरनेट तक पहुंच नहीं है. यूट्यूब, फेसबुक, या किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
  5. विदेशी मीडिया: विदेशी अखबार, टीवी चैनल, और फिल्में पूरी तरह से बैन हैं. दक्षिण कोरियाई टीवी ड्रामा या म्यूजिक की यूएसबी तस्करी के जरिए देश में लाने की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन पकड़े जाने पर सजा-ए-मौत निश्चित है.
  6. निजी स्वतंत्रता: तानाशाही शासन में निजता जैसी कोई चीज नहीं है. फोन की निगरानी, घरों की तलाशी, और यहां तक कि लोगों के बोलने के तरीके पर भी नजर रखी जाती है. अगर कोई दक्षिण कोरियाई स्लैंग या लहजा इस्तेमाल करता है, तो उसे सजा हो सकती है.
  7. धर्म और किताबें: बाइबल या किसी भी धार्मिक किताब को रखना मना है.
  8. विदेश यात्रा और संपर्क: देश छोड़ना या विदेश में किसी से संपर्क करना गैरकानूनी है. अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है, तो उसे और उसके परिवार को भयानक सजा भुगतनी पड़ती है.
(फोटो-गेटी इमेज)
(फोटो-गेटी इमेज)

किम जोंग उन की तानाशाही 
उत्तर कोरिया में किम जोंग उन का शासन सिर्फ सेंसरशिप तक सीमित नहीं है. वहां की सरकार लोगों के दिमाग को नियंत्रित करने के लिए प्रचार और तकनीक का इस्तेमाल करती है. स्मार्टफोन में पहले से इंस्टॉल प्रचार सामग्री, सील किए गए डिवाइस, और टैम्परिंग को रोकने के लिए सख्त कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि लोग सिर्फ वही देखें और सुनें, जो सरकार चाहती है. उत्तर कोरियाई तकनीक और सूचना विशेषज्ञ मार्टिन विलियम्स के अनुसार, “स्मार्टफोन अब उत्तर कोरिया में लोगों को ब्रेनवॉश करने का एक अहम हिस्सा बन गए हैं. किम परिवार के इर्द-गिर्द बनाई गई कहानियां ज्यादातर झूठ पर आधारित हैं.”

दक्षिण कोरिया से इन्फॉर्मेशन वॉर
उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच एक ‘इन्फॉर्मेशन वॉर’ चल रहा है. दक्षिण कोरिया लगातार कोशिश करता है कि उत्तर कोरिया के लोगों तक उनकी संस्कृति और समाचार पहुंचे. इसके लिए यूएसबी ड्राइव, जो के-पॉप और के-ड्रामा से भरी होती हैं, को सीमा पार तस्करी के जरिए भेजा जाता है, कभी-कभी बोतलों में तैराकर. लेकिन किम जोंग उन की सरकार इस पर सख्त नजर रखती है और इसे रोकने के लिए हरसंभव कोशिश करती है.

(फोटो-गेटी इमेज)
(फोटो-गेटी इमेज)

2023 में उत्तर कोरिया से भागकर दक्षिण कोरिया में शरण लेने वाली कांग ग्यूरी ने बीबीसी को बताया, “मैं वहां इतना दम घुटने की स्थिति में थी कि मुझे भागना पड़ा. पहले मुझे लगता था कि हर देश में इतनी सख्त पाबंदियां होती हैं, लेकिन बाद में मुझे पता चला कि यह सिर्फ उत्तर कोरिया की सच्चाई है.” उनकी यह बात उस डरावने माहौल को दर्शाती है, जिसमें उत्तर कोरिया के लोग जीते हैं.