
पाकिस्तान ने बिटकॉइन माइनिंग और एआई डेटा सेंटर्स को ऊर्जा देने के लिए पहले चरण में 2000 मेगावॉट बिजली आवंटित करने का फैसला लिया है. इस्लामाबाद की सत्ता पर काबिज़ सरकार की योजना है कि वह अपनी सरप्लस बिजली का इस्तेमाल इन कामों के लिए करेगी. यह पहल पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल की अगुवाई में शुरू की गई है. दरअसल पाकिस्तान ऐसी कई कोशिशों से अपनी अतिरिक्त बिजली को पैसों में बदलना चाहता है.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान बिटकॉइन माइनिंग के ज़रिए अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकता है? साथ ही यह भी जानना जरूरी है कि बिटकॉइन माइनिंग की रेस में भारत कहां है और इसे लेकर भारत की आधिकारिक पॉलिसी क्या कहती है.
क्या है बिटकॉइन माइनिंग
सबसे पहले समझ लेते हैं कि बिटकॉइन माइनिंग क्या है. बिटकॉइन माइनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंप्यूटर के इस्तेमाल से बिटकॉइन नेटवर्क पर लेनदेन (ट्रांजेक्शन) को सत्यापित और रिकॉर्ड किया जाता है. आसान शब्दों में कहें तो जब आप बैंक ट्रांजैक्शन करते हैं तो उसे सत्यापित करने का काम बैंक का होता है. लेकिन क्योंकि बिटकॉइन एक मुक्त करेंसी है, इसलिए यह काम हम में से किसी को ही करना होता है.
तो आखिर ये ट्रांजैक्शन सत्यापित कैसे होते हैं? बिटकॉइन एक डिजिटल करेंसी है जो ब्लॉकचेन नाम के एक डिजिटल बहीखाते पर काम करती है. इस बहीखाते में सभी बिटकॉइन लेनदेन रिकॉर्ड होते हैं. माइनिंग करने वाले का काम इस बहीखाते को अपडेट करना और सुरक्षित रखना है. माइनिंग करने वाले लोग अपने कंप्यूटरों का इस्तेमाल करके गणित की मुश्किल पहेलियों (cryptographic puzzles) को हल करते हैं. ये पहेलियां बिटकॉइन नेटवर्क पर होने वाले लेनदेन को सत्यापित करने के लिए होती हैं.
यहां समझ लेना ज़रूरी है कि अगर आप कोई लेनदेन ही नहीं करेंगे, तो कंप्यूटर के पास कोई पहेलियां सॉल्व करने के लिए नहीं होंगी. ये पहेलियां उर्फ संख्याएं आपकी ट्रांजैक्शन का नतीजा हैं. जब माइनर एक पहेली को हल कर लेता है तो वह एक "ब्लॉक" बनाता है. यह ब्लॉक ब्लॉकचेन में जोड़ा जाता है. इस तरह माइनिंग को अंजाम दिया जाता है.
पाकिस्तान ने क्यों चुनी माइनिंग?
माइनिंग के काम में बहुत महंगे कंप्यूटर और बहुत ज़्यादा ऊर्जा लगती है. यह कोई समाजसेवा भी नहीं. ब्लॉक को ब्लॉकचेन में जोड़ने के लिए माइनर को दो तरह का इनाम मिलता है. वर्तमान में एक ब्लॉक की माइनिंग के लिए 3.125 बिटकॉइन मिलते हैं. हर चार साल में यह इनाम 50 प्रतिशत कम होता गया है. सिर्फ यही नहीं, आप जिसकी ट्रांजैक्शन के लिए माइनिंग करते हैं, उसपर भी ट्रांजैक्शन चार्ज लगता है और वह भी आपकी जेब में जाता है.
अब पाकिस्तान बिटकॉइन माइनिंग के जरिए एक तीर से दो निशाने लगाना चाहता है. एक तो पाकिस्तान के पास बहुत सारी सरप्लस बिजली है क्योंकि वह जो बिजली बना रहा है, उसे इस्तेमाल नहीं कर पा रहा. इसलिए पाकिस्तान अपनी अतिरिक्त बिजली का इस्तेमाल बिटकॉइन माइनिंग के लिए करना चाहता है. इस काम को सही तरह करने पर वह अपना कर्ज़ा भी उतार सकता है.
पाकिस्तानी अखबार द डॉन की एक रिपोर्ट की मानें तो अगर पाकिस्तान एस19 प्रो एंटमाइनर का इस्तेमाल करके बिटकॉइन माइनिंग करता है (यह मानते हुए कि 0.12 डॉलर प्रति किलोवाट/घंटा की लागत पर 10,000 मेगावॉट अतिरिक्त ऊर्जा उपलब्ध है), तो वह हर साल 35 अरब डॉलर मूल्य का बिटकॉइन बना सकता है. सीधे शब्दों में कहें तो पाकिस्तान दो साल में अपने बाहरी ऋण का भुगतान कर सकते हैं.
अगर जेपी मॉर्गन का बिटकॉइन के 146,000 डॉलर तक पहुंचने का पूर्वानुमान सही साबित होता है तो पाकिस्तान इससे करीब 110 अरब डॉलर तक की कमाई भी कर सकता है.
क्या कहता है भारत का कानून?
भारत में बिटकॉइन माइनिंग को लेकर अभी कोई कानून नहीं है. तकनीकी रूप से देखा जाए तो क्रिप्टो माइनिंग (जिसमें बिटकॉइन माइनिंग शामिल है) अवैध नहीं है. इसका मतलब है कि आप बिना किसी विशेष सरकारी अनुमति के बिटकॉइन माइनिंग कर सकते हैं. साल 2022 में सरकार ने इसपर टैक्स ज़रूर लगा दिया. अगर आप माइनिंग से क्रिप्टोकरेंसी कमाते हैं, तो इसे इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत "बिजनेस इनकम" या "अन्य आय" के तौर पर घोषित करना होगा.
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले लाभ पर 30% टैक्स और 1% टीडीएस (ट्रांजेक्शन पर) भरना होगा. इसके अलावा भारत में बिजली बहुत सस्ती भी नहीं है, इसलिए बिटकॉइन माइनिंग को आय का एक विकल्प बनाना आसान नहीं. हालांकि भारत का कानून वर्तमान में बिटकॉइन माइनिंग आसान बनाता है और कई लोग इसे आय के एक स्रोत के रूप में देख सकते हैं.