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Solar Powered Electric Scooter: तेज धूप में काम पर जाते लोगों को देख दिमाग में आया आइडिया, लोग रह गए कारनामे से हैरान

तपती धूप में साइकल चला कर काम पर जाते देख लोगों को दिमाग में ई-स्कूटर बनाने का आइडिया आया. जो सौर ऊर्जा से चलता हो. यह स्टूकर 20 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकता है. साथ ही चलते चलते दुबई की धूप को ऊर्जा में बदल सकता है.

Param Bhimani Standing With His E-Scooter Param Bhimani Standing With His E-Scooter

यूथ हर फील्ड में आगे बढ़ता जा रहा है. यूथ में आमतौर पर कुछ कर दिखाने का जोश होता है. यह जोश और जज्बा उनसे कई बार ऐसी चीज़ करवा देता है, जिसको देश और दुनिया में सलामी मिलती है. जरूरी नहीं कि यह कोई अनोखी चीज़ हो बल्कि कई मामलों में यह कोई आम चीज़ भी हो सकती है, लेकिन उससे पड़ने वाला फर्क उसको औरों से अलग बना देता है.

दरअसल दुबई में एक भारतीय ने अपने समुदाय की परेशानियों को देखा, फिर उन्हें दूर करने का एक ऐसा तरीका निकाला. जिसको सुन आप भी हैरान हो जाएंगे. आपको भी यकीन नहीं होगा कि किस तरह यूथ के उस चेहरे ने इतनी बड़ी दिक्कत को दूर कर दिया.

तैयार किया ई-स्कूटर
गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार जुमैरा कॉलेज में पढ़ने वाले 18 वर्षीय परम भिमानी ने एनोवेशन की एक ऐसी मिसाल खड़ी कर दी है, कि उनके एनोवेशन पर हर किसी को गर्व महसूस हो रहा है. परम ने एक फुली फंक्शनल ई-स्टूकर तैयार किया है. इस ई-स्कूटर की खास बात है कि यह सोलर एनर्जी पर आधारित है. परम कहते हैं कि उनका स्कूटर असल ज़िंदगी में एक समस्या को दूर करने का काम करता है.

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कहां से मिली स्कूटर बनाने की प्रेरणा
परम बताते है कि एक दिन उन्होंने नोटिस किया कि काम पर जाने वाली लेबर दुबई की तपती धूप में साइकिल पर पसीने में तर-बतर होती हुई जाती है. ऐसे में परम ने उनकी इस परेशानी को दूर करने की ठानी. परम ने उनके लिए एक ई-स्कूटर को तैयार करने का सोचा, लेकिन ई-स्कूटर को बार-बार चार्ज करने की बात ने उन्हें अपने आइडिया पर और सोचने पर मजबूर किया. 

ऐसे में परम के दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न उसी चीज़ को ईंधन का साहारा बनाया जाएं, जो परेशानी खड़ी कर रही है, यानी की धूप. इसके बाद परम ने अपने प्रोजेक्ट पर काम किया, जिसके बाद उन्होंने ई-स्कूटर तैयार कर लिया जो धूप से चार्ज होता है. यह स्कूटर 9 घंटे में फुल चार्ज होता है. जिसके बाद 20 किलोमीटर तक का सफर 40 किलोमीटर की रफ्तार के साथ पूरा करता है.

बचपन से है इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट में दिलचस्पी
परम की बचपन से ही इंजीनियरिंग से जुड़े प्रोजेक्ट्स में दिलचस्पी रही है. 12 साल की उम्र से वह डीआईवाई किट का इस्तेमाल करते आ रहे हैं. वह कई अन्य प्रोजेक्ट भी बना चुके हैं. जिसमें सोलर कार, ड्रोन, रियल टाइल फ्लाइट कंट्रोल और विजन बेस्ड ऑबजेक्ट डिटेक्शन जैसे प्रोजेक्ट वह कप चुके हैं.

परम कहते हैं कि इंजीनियरिंग मजे से ज्यादा दुनिया की परेशानियों को हल करने का एक टूल है. वह चाहते हैं कि इंजीनियरिंग के फील्ड में वह ऐसे प्रोजेक्ट करें जो लोगों की परेशानियों को दूर करें. क्लीन एनर्जी पर और टेक्नोलॉजी पर बेस्ड प्रोजेक्ट हो.