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राजकुमार ने मार दी थी राजनयिक को गोली... फिर राजा ने की थी पूरे देश में शराब बंदी, इस्लाम नहीं बल्कि ये है Saudi Arab में Alcohol ban की असली वजह

यह सच है कि इस्लाम में शराब और नशीले पदार्थों का सेवन हराम माना गया है. कुरान में साफ कहा गया है कि शराब और अन्य नशीले पदार्थ इंसान की समझ और नैतिकता को कमजोर करते हैं. लेकिन सऊदी अरब में शराब पर बैन का असल कारण 1952 की यह घटना थी, न कि केवल धार्मिक नियम. यह घटना एक शाही परिवार की गलती थी, जिसने पूरे देश की नीति को बदल दिया.

Saudi Arabia alcohol ban (Representative Image/Unsplash) Saudi Arabia alcohol ban (Representative Image/Unsplash)

सऊदी अरब, एक ऐसा देश जहां इस्लाम की पवित्रता और सख्त नियम-कानून दुनिया भर में मशहूर हैं. मक्का और मदीना जैसे पवित्र स्थलों का संरक्षक होने के नाते, सऊदी अरब की छवि एक रूढ़िवादी और धर्मनिष्ठ देश की रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सऊदी अरब में शराब पर दशकों पुराना प्रतिबंध वास्तव में इस्लाम की शिक्षाओं से ज्यादा एक शाही परिवार की भयानक गलती से जुड़ा है?

जी हां, यह कहानी एक नशे में धुत राजकुमार, एक ब्रिटिश राजनयिक की हत्या और एक ऐतिहासिक फैसले की है, जिसने सऊदी अरब को शराब-मुक्त देश बना दिया. हाल ही में खबरें उड़ी थीं कि सऊदी शराब पर बैन हटाने जा रहा है, लेकिन अब आधिकारिक तौर पर इन खबरों का खंडन हो चुका है. 

1952 में नशे ने बदल दी सऊदी की तस्वीर
सऊदी अरब में शराब पर प्रतिबंध की कहानी शुरू होती है 1952 से, जब एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. उस समय सऊदी अरब के संस्थापक, किंग अब्दुलअज़ीज़ इब्न सऊद के शासनकाल में एक 19 साल के युवा राजकुमार, मिशारी बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद, ने नशे की हालत में कुछ ऐसा किया, जिसने सऊदी इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया. 

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जेद्दाह में उस समय ब्रिटिश उप-कॉन्सुल, सिरिल ओस्मान, एक सभा का आयोजन कर रहे थे. इस सभा में राजकुमार मिशारी भी शामिल थे. नशे में चूर राजकुमार ने सिरिल से और शराब की मांग की, लेकिन जब सिरिल ने उन्हें और शराब देने से इनकार कर दिया, तो गुस्से में आकर राजकुमार ने अपनी बंदूक निकाली और सिरिल को गोली मार दी. इस गोली ने न सिर्फ एक ब्रिटिश राजनयिक की जान ले ली, बल्कि सऊदी अरब के भविष्य को भी एक नई दिशा दे दी.

इस घटना ने किंग अब्दुलअज़ीज़ को गहरा आघात पहुंचाया. अपने बेटे की इस हरकत से शर्मिंदा और क्रोधित किंग ने तुरंत एक बड़ा फैसला लिया. उन्होंने पूरे देश में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया. राजकुमार मिशारी को इस अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, और सऊदी अरब में शराब का नामोनिशान मिटाने का आदेश दे दिया गया. यह वही क्षण था जब सऊदी अरब ने शराब को अपने समाज से पूरी तरह बाहर कर दिया. लेकिन क्या यह फैसला सिर्फ इस्लाम की शिक्षाओं की वजह से लिया गया था? शायद नहीं.

क्या इस्लाम है असल वजह?
यह सच है कि इस्लाम में शराब और नशीले पदार्थों का सेवन हराम माना गया है. कुरान में साफ कहा गया है कि शराब और अन्य नशीले पदार्थ इंसान की समझ और नैतिकता को कमजोर करते हैं. लेकिन सऊदी अरब में शराब पर बैन का असल कारण 1952 की यह घटना थी, न कि केवल धार्मिक नियम. यह घटना एक शाही परिवार की गलती थी, जिसने पूरे देश की नीति को बदल दिया. इस्लाम की शिक्षाएं तो पहले से थीं, लेकिन इस घटना ने शराब को सऊदी समाज से पूरी तरह खत्म करने का एक ठोस आधार दे दिया. 

क्या सऊदी अरब अब शराब पर बैन हटाने जा रहा है?
हाल ही में खबरें आई थीं कि सऊदी अरब अपनी कठोर नीतियों में ढील देने की तैयारी कर रहा है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के महत्वाकांक्षी विजन 2030 के तहत सऊदी अरब में कई सामाजिक और आर्थिक सुधार हो रहे हैं. सिनेमाघरों का खुलना, मिश्रित लिंग वाले सांस्कृतिक आयोजन और पर्यटन को बढ़ावा देना जैसे कदम इस बदलाव का हिस्सा हैं. इन सुधारों के बीच यह अफवाह उड़ी कि सऊदी अरब शराब पर बैन हटा सकता है, खासकर गैर-मुस्लिम राजनयिकों के लिए. 

खबर थी कि सऊदी सरकार एक नया नियामक ढांचा लाने जा रही है, जिसके तहत गैर-मुस्लिम दूतावासों को सीमित मात्रा में शराब की आपूर्ति की जाएगी. अभी तक, राजनयिक अपने निजी उपयोग के लिए डिप्लोमैटिक पाउच के जरिए शराब आयात करते थे, लेकिन नया सिस्टम इसे और व्यवस्थित करेगा. हालांकि, सऊदी सरकार ने अब इन खबरों का आधिकारिक तौर पर खंडन कर दिया है. उप-पर्यटन मंत्री प्रिंसेस हैफा अल सऊद ने स्पष्ट किया है कि मौजूदा कानूनों में कोई बदलाव नहीं होगा. 

सऊदी समाज और शराब का संतुलन
सऊदी अरब की 3.2 करोड़ आबादी के लिए शराब अभी भी एक वर्जित विषय है. शराब का सेवन करने वालों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ता है- जुर्माना, जेल, सार्वजनिक शारीरिक दंड और गैर-नागरिकों के लिए देश से निष्कासन. 

लेकिन सऊदी अरब के सामने अब एक नया चुनौती है. एक्सपो 2030 और 2034 फीफा विश्व कप जैसे वैश्विक आयोजनों की मेजबानी की योजना के साथ, शराब पर बैन को लेकर सवाल उठ रहे हैं. खासकर नियोम जैसे भविष्योन्मुखी प्रोजेक्ट्स में, जहां सऊदी अरब एक आधुनिक और वैश्विक शहर की छवि बनाना चाहता है, शराब पर बैन को लेकर बहस तेज हो रही है. लेकिन मक्का और मदीना जैसे पवित्र स्थलों की मौजूदगी और इस्लाम की शिक्षाओं के कारण यह विषय बेहद संवेदनशील है. 

बता दें, फिलहाल सऊदी में शराब पर बैन बरकरार है, और सरकार ने साफ कर दिया है कि निकट भविष्य में इसमें कोई बदलाव की योजना नहीं है.