Tarique Rahman (Photo:X@TariqueBNPBD)
Tarique Rahman (Photo:X@TariqueBNPBD)
Tarique Rahman in Bangladesh: बांग्लादेश में इंकलाब मंच के छात्र नेता उस्मान हादी की गोली मार हत्या करने के बाद हिंसा और सियासी उथलपुथल का दौर जारी है. इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद लंदन से गुरुवार को बांग्लादेश लौट आए हैं. तारिक रहमान अपनी पत्नी और बेटी के साथ ढाका पहुंचे. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकर्ताओं ने तारिक रहमान का ढाका एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत किया.
तारिक रहमान को बांग्लादेश में क्राउन प्रिंस यानी राजकुमार कहा जाता है. वह बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष हैं. तारिक रहमान फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनाव में अपनी पार्टी की कमान संभालने वाले हैं. वह इस चुनाव में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के प्रधानमंत्री पद के संभावित दावेदार हैं. तारिक रहमान की वापसी को जहां बीएनपी समर्थक ऐतिहासिक दिन बता रहे हैं, वहीं विरोधी इसे सियासी खेल मान रहे हैं. आइए जानते हैं तारिक रहमान के घर वापसी के मायने क्या हैं और यह भारत पर क्या असर डालेगा?
कौन हैं तारिक रहमान
पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान और तीन बार की प्रधानमंत्री खालिदा जिया के सबसे बड़े पुत्र तारिक रहमान हैं. तारिक रहमान का जन्म 1965 में हुआ था. उस समय बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था. तारिक रहमान के पिता जनरल जियाउर रहमान 1975 में तख्तापलट के बाद सत्ता पर काबिज हुए थे. इस तख्तापलट के दौरान शेख हसीना के पिता और राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद से आजतक जिया और हसीना परिवारों के बीच दुश्मनी चली आ रही है.
जियाउर रहमान ने बांग्लादेश राष्ट्रवादी पार्टी की स्थापना की थी. जियाउर रहमान 1977 से लेकर 1981 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे. जियाउर रहमान की एक सैन्य विद्रोह के दौरान चटगांव में 30 मई 1981 को हत्या कर दी गई थी. उसके बाद जियाउर रहमान की पत्नी खालिदा जिया ने पार्टी की कमान संभाली और तीन बार प्रधानमंत्री बनीं. तारिक रहमान के छोटे भाई का नाम अराफात रहमान कोको था, जिनका 2015 में थाइलैंड में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. तारिक रहमान के साथ उनकी पत्नी जुबैदा रहमान और बेटी जैमा रहमान लंदन में रह रहती थीं. अब तारिक रहमान के स्वदेश लौटने के बाद बांग्लादेश की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू होने वाला है. तारिक रहमान की मां और पूर्व पीएम खालिदा जिया इस समय गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं. वह ढाका के एवरकेयर अस्पताल में भर्ती हैं.
खालिदा जिया का माना जाता था राजनीतिक उत्तराधिकारी
तारिक रहमान 2000 के दशक के आरंभ में बीएनपी के एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे. उन्हें उनकी मां खालिदा जिया का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता था. तारिक रहमान को भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोप में 2007 में सैन्य समर्थित अंतरिम सरकार ने गिरफ्तार किया था. तारिक लगभग 18 महीने जेल में रहे. तारिक रहमान को 2008 में जमानत मिली थी और इलाज के बहाने लंदन चले गए थे. इसके बाद से वह वहीं निर्वासन में रह रहे थे. 2004 में तत्कालीन विपक्षी नेता शेख हसीना पर ग्रेनेड हमले की साजिश रचने का आरोप भी लगाया गया था.
हालांकि तारिक इन आरोपों से इनकार करते रहे हैं. तारिक रहमान की अनुपस्थिति में उन्हें उम्रकैद तक की सजा हुई थी. तारिक रहमान और उनकी पार्टी बीएनपी इसे राजनीतिक बदला बताते हैं. हसीना सरकार के दौरान तारिक अनवर लंदन से ही अपनी पार्टी का काम-काज वीडियो कॉल और सोशल मीडिया से देखते थे. साल 2024 में छात्र आंदोलन से शेख हसीना की सत्त चली गई. हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भारत भागना पड़ा और बांग्लादेश में मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनी. मुहम्मद यूनुस की सरकार ने तारिक अनवर के कई केस खत्म कर दिए या बरी कर दिया. इसके बाद अब तारिक अनवर स्वदेश लौटे हैं.
तारिक रहमान और बीएनपी का भविष्य
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली बांग्लादेश अवामी लीग के आगामी चुनावों से प्रतिबंधित होने के बाद, तारिक रहमान की पार्टी बीएनपी को मुख्य दावेदार के रूप में देखा जा रहा है. रहमान की ढाका वापसी से पार्टी के चुनाव प्रचार को कथित तौर पर बल मिल सकता है. साल 2026 के फरवरी में बांग्लादेश में आम चुनाव होने हैं. यदि बीएनपी जीतती है तो तारिक रहमान प्रधानमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं. 12 फरवरी 2026 को होने वाले आम चुनाव के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख 29 दिसंबर 2025 है. तारिक रहमान 27 दिसंबर 2025 को वोटर रजिस्ट्रेशन और राष्ट्रीय पहचान पत्र (NID) की औपचारिकताएं पूरी करेंगे. बीएनपी ने तारीक रहमान की वापसी को सिर्फ एक नेता की घर-वापसी नहीं, बल्कि 'लोकतंत्र की वापसी' के प्रतीक के रूप में पेश किया है.
क्या तारिक रहमान का पीएम बनना भारत के लिए चिंता का विषय
तारिक रहमान को एंटी-इंडिया माना जाता है. रहमान का नारा है 'न दिल्ली, न पिंडी, बांग्लादेश सबसे पहले'. रहमान तीस्ता पानी बंटवारे पर भारत से अपना हिस्सा मांगने की बात करते रहे हैं. शेख हसीना को भारत में शरण देने पर नाराजगी जताई थी. यदि बीएनपी सत्ता में आई तो जमात-ए-इस्लामी जैसे इस्लामी ग्रुपों से गठजोड़ बढ़ सकता है, जो भारत विरोधी हैं. सीमा पर सुरक्षा, अवैध प्रवास और उग्रवाद के मुद्दे प्रभावित हो सकते हैं. व्यापार और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स धीमे पड़ सकते हैं.
हालांकि तारिक रहमान ने हाल में कहा था कि वह भारत से अच्छे रिश्ते चाहते हैं, लेकिन बांग्लादेश के हित पहले. तारिक रहमान ने मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार और पिछली शेख हसीना सरकार से अलग एक नई कूटनीतिक दिशा के संकेत दिए हैं. हसीना सरकार ने जहां चीन-पाक से दूरी बनाते हुए भारत से रिश्ते मजबूत किए थे, वहीं यूनुस इसके उलट पाकिस्तान से नजदीकी बढ़ा रहे हैं. शेख हसीना ने भारत विरोधी तत्वों और धार्मिक कट्टरपंथियों को कंट्रोल में रखा था. उनके सत्ता से हटने के बाद से ही इन दोनों मोर्चों पर भारत को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. बांग्लादेश में इस समय कट्टरपंथी इस्लामी समूह बेकाबू हो रहे हैं. ऐसे में फरवरी में होने वाले चुनावों से पहले मौजूदा राजनीति के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक तारीक रहमान की वापसी बेहद महत्वपूर्ण है. तारीक रहमान को यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत ने हमेशा बांग्लादेश का मार्गदर्शन किया है. भारत के बिना बांग्लादेश आगे नहीं बढ़ सकता. यह बात उनके हित में भी है, सिर्फ भारत के हित में नहीं.