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थाईलैंड की फिल्मी सियासत! 24 घंटे के लिए प्रधानमंत्री बनें सूर्या जुनग्रुंग्रियांगकिट, आखिर कौन हैं ये? और क्यों बनाया गया इन्हें एक दिन का नायक

सूर्या पहले परिवहन मंत्री और उप-प्रधानमंत्री रह चुके हैं. हालांकि, जब मीडिया ने उनसे पूछा कि इतने कम समय के लिए पीएम बनने का अनुभव कैसा है, तो उन्होंने बस इतना कहा, "मेरा सबसे जरूरी काम एक कागज पर दस्तखत करना था ताकि सत्ता का ट्रांसफर सुचारु हो."

थाईलैंड के सूर्या जुनग्रुंग्रियांगकिट (फोटो/गेटी इमेज) थाईलैंड के सूर्या जुनग्रुंग्रियांगकिट (फोटो/गेटी इमेज)

 

क्या आपने कभी सुना है कि कोई सिर्फ एक दिन के लिए देश का प्रधानमंत्री बना? अगर नहीं, तो थाईलैंड के फिल्मी सियासी ड्रामे के बारे में आपको सुनना चाहिए. सूर्या जुनग्रुंग्रियांगकिट, एक दिग्गज सियासतदां, जिन्हें थाईलैंड की राजनीति का 'हवा का रुख देखने वाला' कहा जाता है, ने 2 जुलाई 2025 को सिर्फ 24 घंटे के लिए देश की कमान संभाली. 

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2 जुलाई 2025 को बैंकॉक के गवर्नमेंट हाउस में एक भव्य समारोह हुआ, जहां सूर्या जुनग्रुंग्रियांगकिट ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पारी शुरू की. ये समारोह प्रधानमंत्री कार्यालय की 93वीं वर्षगांठ के लिए था. सूर्या पहले परिवहन मंत्री और उप-प्रधानमंत्री रह चुके हैं. हालांकि, जब मीडिया ने उनसे पूछा कि इतने कम समय के लिए पीएम बनने का अनुभव कैसा है, तो उन्होंने बस इतना कहा, "मेरा सबसे जरूरी काम एक कागज पर दस्तखत करना था ताकि सत्ता का ट्रांसफर सुचारु हो."

लेकिन सवाल ये है कि आखिर सूर्या को ये 24 घंटे की सत्ता क्यों मिली? जवाब छिपा है थाईलैंड की मौजूदा प्रधानमंत्री पैटोंगटर्न शिनावात्रा के निलंबन में, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. सूर्या की ये छोटी सी पारी गुरुवार, 3 जुलाई 2025 को होने वाले कैबिनेट फेरबदल के साथ खत्म हो जाएगी, जब उनकी जगह नए कार्यवाहक पीएम फुमथम वेचयाचाई लेंगे. 

पैटोंगटर्न का निलंबन
इस सियासी तूफान की जड़ में हैं पैटोंगटर्न शिनावात्रा, जो पिछले साल अगस्त में थाईलैंड की प्रधानमंत्री बनी थीं. 38 साल की पैटोंगटर्न, थाईलैंड के सबसे प्रभावशाली सियासी खानदान शिनावात्रा की वारिस हैं. उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा लंबे समय से थाई सियासत के ध्रुव तारे रहे हैं. लेकिन 1 जुलाई 2025 को थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने पैटोंगटर्न को एक लीक फोन कॉल के चलते निलंबित कर दिया. 

ये लीक कॉल क्या थी? दरअसल, पैटोंगटर्न ने कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन से फोन पर बात की थी, जिसमें उन्होंने हून सेन को "अंकल" कहकर संबोधित किया और थाई सेना के एक कमांडर को अपना "विरोधी" बताया. ये कॉल थाईलैंड और कंबोडिया के बीच पुराने क्षेत्रीय विवाद से जुड़ा था, जिसने मई में हिंसक झड़पों का रूप लिया, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई. इस कॉल के लीक होने के बाद थाईलैंड में हंगामा मच गया. सांसदों ने पैटोंगटर्न पर आरोप लगाया कि उन्होंने कंबोडिया के सामने "घुटने टेके" और थाई सेना का अपमान किया. 

इस विवाद के चलते पैटोंगटर्न की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई. हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और उनके इस्तीफे की मांग करने लगे. रूढ़िवादी दलों ने उनकी गठबंधन सरकार छोड़ दी, जिसके चलते कैबिनेट फेरबदल की नौबत आ गई. संवैधानिक अदालत ने पैटोंगटर्न पर मंत्रालयी नैतिकता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उन्हें निलंबित कर दिया, और अब उनकी जांच महीनों तक चल सकती है.

शिनावात्रा परिवार का डगमगाता साम्राज्य
पैटोंगटर्न का निलंबन शिनावात्रा परिवार के लिए एक बड़ा झटका है, जो 2000 के दशक से थाईलैंड की सियासत पर हावी रहा है. उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा पर भी इन दिनों राजद्रोह का मुकदमा चल रहा है, जिसमें उन्हें 15 साल तक की सजा हो सकती है. विश्लेषकों का कहना है कि पैटोंगटर्न का निलंबन शिनावात्रा परिवार के प्रभाव में कमी का प्रतीक है, भले ही सूर्या और फुमथम जैसे कार्यवाहक प्रधानमंत्री उनके वफादार माने जाते हों.

पैटोंगटर्न ने निलंबन से पहले खुद को नई कैबिनेट में संस्कृति मंत्री का पद दे दिया था, जिसका मतलब है कि वह सत्ता के शीर्ष पर अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन उनकी पार्टी फ्यू थाई, जो 2023 के चुनाव में दूसरे स्थान पर आई थी, ने सैन्य समर्थक दलों के साथ गठबंधन करके सत्ता हासिल की थी. ये गठबंधन पहले से ही अस्थिर था, और अब पैटोंगटर्न के निलंबन ने इसे और कमजोर कर दिया है.